एक संयोजी वर्ण प्रतिरूप (additive color model) में संसक्त या एकल स्रोत से निकले प्रकाश का प्रयोग होता है। संयोजी मिश्रण में लाल, हरा एवं नीला प्रकाश प्रयोग होता है, अन्य प्रकाशों को निर्मित करने हेतु। देखें लाल हरा नीला रंग प्रतिरूप. इन संयोजी प्राथमिक रंगों में से एक को दूसरे से मिलाने पर द्वितीयक रंग बनते हैं, जैसे क्यान, रानी एवं पीला। तीनों प्राथमिक रंगों को बराबर मात्रा में मिलाने पर श्वेत वर्ण बनता है। किसी भी रंग की तीव्रता में अंतर करने पर तीनों प्रकाशों का पूर्ण राग ' मिलता है। कम्प्यूटर के प्रदर्शक मॉनीटर एवं दूरदर्शन उपकरण इसके उत्तम उदाहरण हैं।

संयोजी वर्ण मिश्रण : लाल में हरा मिलाने से पीला मिलता है, पीला में नीला मिलाने पर सफेद मिलता है।

प्राथमिक रंगों का मिश्रण करने पर मिले परिणाम प्राय: प्रतिदिन में रंगों के अभ्यस्त लोगों के अनुमान से विपरीत होते हैं, क्योंकि वे लोग अधिकतर व्यवकलित रंगों (en:subtractive color) का स्याही, डाई, पिगमेंट्स इत्यादि के आदि होते हैं। ये वस्तुएं आँखों को रंग दिखाती हैं, परावर्तन से ना कि विद्युतचुंबकीय विकिरण या उत्सर्ग से। उदाहरतः व्यवकलित रंग प्रणाली में हरा है पीला एवं नीला का मिश्रण, जबकि प्राथमिक रंग प्रणाली में पीला लाल एवं हरा के मिश्रण से बनता है, एवं कोई साधारण मिश्रण हरा नहीं बनाता। यह ध्यान योग्य है, कि संयोजी वर्ण परिणाम हैं कि जिस तरह मानवी आँख यंग को पहचानती है, ना कि रंग का गुण स्वभाव। पीले प्रकाश (जिसका) [[तरंग दैर्घ्य} 580 nm, है, उसमें, तथा लाल एवं हरे प्रकाश के मिश्रण से बनने वाले पीले रंग में अपार भिन्नता है। परंतु दोनों ही हमारी आँखों को समान रूप से दिखते हैं, जिससे कि अंतर पता नहीं लगता। (देखें, .)

प्रथम रंगीन छायाचित्र, जेम्स क्लार्क मैक्स्वैल द्वारा 1861 में लिया गया


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