त्यागराज

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त्यागराज ‘कर्नाटक संगीत’ के सबसे बड़े प्रतिपादकों में एक थे. ये ‘कर्नाटक संगीत’ के महान ज्ञाता तथा भक्ति मार्ग के एक प्रसिद्ध कवि थे। इन्होंने भगवान श्रीराम को समर्पित भक्ति गीतों की रचना की थी।उन्होंने कहा कि एक विपुल संगीतकार और शास्त्रीय संगीत परंपरा के विकास में अत्यधिक प्रभावशाली था। त्यागराज बना भक्ति रचनाओं के हजारों, तेलुगू में और भगवान राम, की प्रशंसा में सबसे जिनमें से कई आज लोकप्रिय बने हुए हैं। जो अक्सर उनके सम्मान में कार्यक्रमों में गाया जाता है: विशेष उल्लेख के बारे में उनकी रचनाओं में से पांच ("पांच जवाहरात" अंग्रेजी) कहा जाता है।


जन्म तथा प्रारम्भिक जीवन

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प्रसिद्ध संगीतज्ञ त्यागराज का जन्म 4 मई, 1767 को तमिलनाडु के तंजावुर ज़िले में तिरूवरूर नामक स्थान पर हुआ था। इनकी मां का नाम ‘सीताम्मा’ और पिता का नाम ‘रामब्रह्मम’ था। [1] त्यागराज ने अपनी एक कृति में बताया है कि- ‘सीताम्मा मायाम्मा श्री रामुदु मा तंद्री’ अर्थात ‘सीता मेरी मां और श्री राम मेरे पिता हैं’। इसके जरिए शायद वह दो बातें स्पष्ट कहना चाहते थे- एक ओर वास्तविक माता-पिता के बारे में बताते हैं तो दूसरी ओर प्रभु राम के प्रति अपनी आस्था प्रदर्शित करते हैं।

संगीत के प्रति इनका लगाव

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संगीत के प्रति त्यागराज का लगाव बचपन से ही था। कम उम्र में ही ये सोंती वेंकटरमनैया के शिष्य बन गए थे, जो उस समय के बहुत ही उच्चकोटि के संगीत के विद्वान थे. अपने औपचारिक संगीत शिक्षा के दौरान इन्होंने शास्त्रीय संगीत के तकनीकी पक्षों को विशेष महत्व नहीं दिया और अध्यात्मिक तथ्यों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया. इनके गीत-संगीत का उद्देश्य शुद्ध रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक था. किशोरावस्था में ही इन्होंने अपने पहले गीत ‘नमो नमो राघव’ की रचना की थी। 24,000 गीत की ओर से उसके द्वारा रचित किया गया है कहा, लगभग 700 गीत अब रहते हैं लेकिन विद्वानों 24,000 तरह की संख्या के बारे में उलझन में हैं, क्योंकि वहाँ कोई सबूत जीवनी में इस तरह के दावे का समर्थन करने के लिए है। लगभग 700 रचनाओं के अलावा, त्यागराज तेलुगु,दो संगीत नाटकों की रचना की। प्रहलाद भक्ति विजयम् 45 क्रितीयों तेलुगु में 28 रागों और 138 छंद में सेट अलग मीटर में साथ पांच कृत्यों में है।

दक्षिण भारत की यात्रा

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दक्षिण भारत के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण के दौरान इनके बहुत से शिष्य बन गए, जिन्होंने इनके गीत-संगीत को उस समय ताड़ के पत्रों पर लिखकर संग्रहित किया. कहा तो ये भी जाता है कि इन्होंने उस समय लगभग 24,000 गीत गाये थे, जिनमें से अब मात्र 700 ही बचे हैं और वे भी अधिकांशतः ताड़ पत्र पर ही लिखे उपलब्ध हैं. इन उपलब्ध गीतों से इन्होंने दो प्रसिद्ध संगीत नाटकों की रचना की है, जिनका नाम क्रमशः ‘प्रह्लाद भक्ति विजयम्’ और ‘नौका चरितम्’ है. आज भी इनके गीत विभिन्न प्रकार के धार्मिक और संस्कृति संगीत कार्यक्रमों के प्रारम्भ में लगातार गाये जाते हैं।[2]

जीवनकाल में क़रीब 600 कृतियों की रचना करने के अलावा तेलुगु में दो नाटक ‘प्रह्लाद भक्ति विजयम्’ और ‘नौका चरितम्’ भी लिखे। ‘प्रह्लाद भक्ति विजय’ जहां पांच दृश्यों में 45 कृतियों का नाटक है वहीं ‘नौका चरितम्’ एकांकी है और इसमें 21 कृतियां हैं. त्यागराज की विद्वता उनकी हर कृति में झलकती है. हालांकि ‘पंचरत्न’ को इनकी सर्वश्रेष्ठ रचना कहा जाता है। [3]

(समाधि)6 जनवरी, 1847 को त्यागराज ने तंजौर जिले के तिरूवरूर में समाधि ले ली।

  1. http://music.indobase.com/classical-singers/thyagaraja.html
  2. http://www.lakshmansruthi.com/chennaiyil-thiruvaiyaru-season-4/saint-thyagarajar.asp
  3. http://www.thyagaraja.org/