सभ्यता भारत की पहचान

भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति है जो लगभग ५००० हजार साल पुरानी है। दुनिया की पहली और महान संस्कृति को माना जाता है। "विविधता में एकता" का कथन यहा पर आम है मतलब की भारत एक विविधतापूर्ण देश है जहाँ अनेक धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ शांतिपूर्णं तरीके से एक साथ रहते है। अनेक धर्मों के लोगो की अपनी भाषा, खाने की आदत, रीति-रिवाज़ आदी अलग हैं फिर भी एकता के साथ रहते है। भारत की राष्टीय भाषा हिन्दी है हालाँकि अनेक राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में लगभग २२ आधिकारिक भाषा और ४०० दूसरी भाषाएँ रोज बोली जाती हैं। इतिहास के अनुसार, हिन्दू और इसलाम जैसे धर्मों की जन्मस्थ्ली के रुप में भारत को पहचाना जाता है। भारत की अधीकतर जनसंख्या हिन्दु धर्म से संबंध रखती है। हिन्दु धर्म की दूसरी विविधता शैव, वैष्णव ओर स्मार्ता है। भारतीय संस्कृति कई विशिष्टताऔं से युक्त है।

संस्कृति की महत्वपूर्णता

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जिन विशिष्टताओं के कारण वह जीवित है, उनमें प्रमुख हैं आध्यात्मिकता, कर्मवाद आदी। आध्यात्मिकता ने भारतीय संसकृति के किसी भी अंग को अछूता नहीं छोडा है। भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषता है उसकी सहिष्णुता की भावना। भारतीयों को सहिष्णुता की शिक्षा राम,महावीर,कबीर,नानक आदी महापुरुषों ने दी है। भारतीय लोह कर्मवादी होते है। यहा तो परलोक को ही कर्मलोक कहा गया है। भारतीय लोग संस्कारी होते है। यहा गुरा को महत्व देते हुए उसे मार्गदर्शक माना जाता है।भारत की संस्कृतिभारत की संस्कृति यहा शिक्षा को पवित्रतम प्र्क्रिया माना गया है, जो बालकों का मानसिक,नैतिक विकास करती। भारतीय साहित्यकला की इतनी समृद्ध, गौरवशाली, विपुल तथा विरासत है, जिस पर सभी को गर्व है। धार्मिक साहितय में वेद, रामायण,महाभारत,पुराण,उपनिषद आते हैं। वैदिक साहित्य में शक्तिशाली देवताओं ओर दानवों के बीच संघर्ष का वर्णन है।

 

संस्कृति की प्राचीनता

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वैदिककाल में ६ वेदांग हैं, इनमें शिक्षा, व्याकरण, कल्प,छन्द, ज्योतिष,निरुक्त हैं। [1]भारतीय कलाओं भी भारतीय संस्कृति का एक बडा हिसा है। उनमें गतिशीलता है, लयबद्धता है। वह अनुपम है। भारतीय कलाओं के स्वरूपवास्तुकला,मूर्तिकला,चित्रकला एवं साहित्यकला प्रमुख वास्तुकला-किसी भी महान स्ंस्कृति की पहली कला, अर्थात वास्तुकला है। अनेक धर्मों का प्राभाव भारतीय संस्कृति पर पडा है। इसलाम भारत में अरब भूमी से आया। इस धर्म मैं एसी मान्यता है कि ईशवरीय पुस्तक कुरान के मूल पाठ को सातवें स्वर्ग से अल्लाह के हुकम से जब्रील ने उसे मोहम्मद साहब को सुनाया। भारतीय समाज का तीसरा प्रमुख धर्म है ईसाई।अनेकता में एकता हमारी स्ंस्कृति कि पहचान है।सभ्यता को शरीर एवं संस्कृति को आतमा कहा गया है, क्योंकि सभ्यता का अमिप्राय मानव के भौतिक विकास से है जिसके अन्तर्गत किसी परिकृत एवं सभ्य समाज की वे स्थूल वस्तुएं आती हैं, जो बाहर से दिखाई देती हैं, जिसके संचय द्वारा वह औरों से अधिक एवं उच्च माना जाता है। संक्षेप में हमारी सभ्यता दुनिया कि सबसे उत्त्म सभ्यता है।

  1. http://www.essaysinhindi.com/india/culture/essay-on-indian-culture-hindi/6497