सुधा मूर्ति संपादित करें

परिचय संपादित करें

 

प्रसिद्ध समाज सेविका और करिश्माई व्यक्तित्व वाली महिला सुधा मूर्ति का जन्म 19 अगस्त 1950 में उत्तरी कर्नाटक शिगांव में हुआ था। विवाह से पहले उनका नाम सुधा कुलकर्णी था। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता, इंजीनियर, एक संवेदनशील शिक्षक तथा एक अत्यंत कुशल लेखिका भी हैं।[1]

शिक्षा संपादित करें

उन्होंने बी.वी.बी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि ग्रहण की है। इसके साथ ही उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री भी सुधाग्रहण की है।

करियर संपादित करें

स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद, सुधा ने 'टेल्को' में एक ग्रेजुएट ट्रेनी के रूप में अपना कैरियर आरम्भ किया।[2] एक अविवाहित लड़की सुधा कुलकर्णी कंपनी के कारखाने में पहली महिला इंजीनियर बनी। वे शिक्षक, इंजीनियर, लेखिका, मानव-प्रेमी और व्यवसायी महिला के रूप में सामने आती हैं

पारिवारिक जीवन संपादित करें

बाद में सुधा ने उद्योगपति एन आर नारायणमूर्ति से विवाह किया। टेल्को में काम करने के कुछ समय बाद दो बच्चों की माँ बन चुकी सुधा इंफोसिस स्थापित करने में अपने पति की मदद करने में व्यस्त हो गई।

योगदान संपादित करें

उन्होंने अनेक लघु कहानियाँ भी लिखी हैं, जो कि सामान्य लोगों के जीवन और दान, आतिथ्य-सत्कार तथा उपलब्धि के बारे में उनके विचारों पर प्रकाश डालती हैं। उनमें से कुछ कहानियाँ इस प्रकार हैं- 'स्वीट हॉस्पिटैलिटी', 'वाइज एंड अदरवाइज' आदि। अंग्रेज़ी और कन्नड़ में एक प्रबुद्ध लेखिका के रूप में उन्होंने 9 उपन्यास, 4 तकनीकी पुस्तकें और 3 यात्रा-वृतांत लिखे हैं। इसके अलावा उन्होंने एक कहानी-संग्रहा तथा 3 यात्रा वृतांत लिखे हैं। और यही नहीं उन्होंने 1 कहानी-संग्रह, 3 उपन्यासेत्तर पुस्तकें और 2 पुस्तकें बच्चों के लिये भी लिखी हैं। उनकी पुस्तकों का सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उन्होंने 'महारानी लक्ष्मी अम्मनी महिला कॉलेज' आरम्भ किया, जो बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के अधीन एक श्रेष्ठतम कंप्यूटर साइंस विभाग के रूप में विकसित हुआ है। इस तरह सुधा 'इंफोसिस फाउंडेशन' की अध्यक्ष होने के अलावा एक शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं।

पुरस्कार व सम्मान संपादित करें

19 नवंबर,2004 को 'श्री रजा लक्ष्मी फाउंडेशन,' चेन्नई द्वारा उन्हें 'राजा-लक्ष्मी' पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार सामाजिक कार्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया। सन 2006 में उन्हें भारत सरकार के विशिष्ट नागरिक पुरस्कार पद्म श्री' से सम्मानित किया गया। और 'सत्यभाभा यूनिवर्सिटी' ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। इसके अलावा अध्यापन के लिये उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

सन्दर्भ संपादित करें