अंतर्वस्तु: संपादित करें

  1. शुरूआती जीवन
  2. शादी
  3. मृत्य
  4. संदर्भ
  5. संबंधित कड़ियाँ:

प्रशांत चंद्र महालनोबिस संपादित करें

प्रशांत चंद्र महालनोबिस एक बहुत मशहूर भारतीय वैज्ञानिक थे। वे खासतौर पर भारत की पंचवर्षीय योजना आयोग के एक मेम्बर के रूप में जाने जाते हैं। प्रशांत चंद्र महालनोबिस 1947 में भारत की आजादी के नए बने मंत्रिमंडल में सांख्यिकी सलाहकार बने। उन्होंने औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाकर बेरोजगारी ख़त्म करने के  सरकार के मकसद को पूरा करने के लिए योजना का खाका खींचा। प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की और बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण के डिजाइन में योगदान दिया। आंकड़ों के क्षेत्र में योगदान की वजह से प्रशांत चंद्र महालनोबिस को ‘भारतीय सांख्यिकी के पिता’ के नाम से जाना जाता है।[1]

शुरूआती जीवन: संपादित करें

प्रशांत  चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कोलकाता में हुआ था। प्रशांत चंद्र महालनोबिस के दादा का नाम ‘गुरचरण महालनोबिस’ था। गुरचरण महालनोबिस 1854 में बिक्रमपुर (अब बांग्लादेश) से कोलकाता आए थे और उसके बाद वे कोलकाता में ही बस गए। इनके पिता का नाम  ‘प्रबोध चंद्र महालनोबिस’ और उनकी माता का नाम ‘निरोदबसिनी’ था। प्रशांत चंद्र महालनोबिस का बचपन बहुत ज्ञानी लोगों के बीच गुजरा और उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा ‘ब्रह्मों ब्वायज स्कूल’ से प्राप्त की, यह स्कूल उनके दादा द्वारा स्थापित किया गया था। उन्होंने 1908 में मैट्रिक की परीक्षा पास की।

उसके बाद प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने प्रेसीडेंसी कालेज से 1912 में भौतिकी विषय में आनर्स के उपाधि भी प्राप्त की। प्रेसीडेंसी कॉलेज में वे जगदीश चन्द्र बोस, सारदा प्रसन्न दास और प्रफुल्ल चन्द्र रॉय जैसे शिक्षकों द्वारा पढाए गए थे। मेघनाद साहा प्रशांत चंद्र महालनोबिस से एक कक्षा नीचे और सुभाष चन्द्र बोस प्रशांत प्रशांत चंद्र महालनोबिस से 2 कक्षा नीचे थे।

उसके बाद प्रशांत चंद्र महालनोबिस लंदन चले गए और वहाँ जाकर उन्होंने कैंब्रिज में दाखिला लिया और फिर आगे चलकर उन्होंने भौतिकी और गणित दोनों विषयों में डिग्री प्राप्त की। कैंब्रिज में पढाई के दौरान प्रशांत चंद्र महालनोबिस की मुलाकात भारत के एक महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से हुई।

उसके बाद प्रशांत चंद्र महालनोबिस कुछ समय के लिए वापस कोलकाता आ गए और उसके बाद उनकी मुलाकात प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ हुई और फिर प्रिंसिपल ने उन्हें वहां पर भौतिकी पढ़ने का आमंत्रण दिया।

कुछ समय बाद जब प्रशांत चंद्र महालनोबिस वापस लंदन चले गए, तब किसी ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें ‘बायोमेट्रिका’ पढनी चाहिए, ‘बायोमेट्रिका’ एक सांख्यिकी जर्नल था। प्रशांत चंद्र महालनोबिस को यह जर्नल इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने इसका एक पूरा सेट ही खरीद लिया और उसे भारत के आए। ‘बायोमेट्रिका’ पढने के बाद ही इन्हें यह पता चला कि मानव-शास्त्र और मौसम विज्ञान जैसे विषयों में भी सांख्यिकी का प्रयोग होता है और इसीलिए भारत वापस आते समय ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया था।[2]

शादी: संपादित करें

कोलकाता वापस आने के बाद प्रशांत चंद्र महालनोबिस ‘निर्मला कुमारी’[1] से मिले, जो ‘हेरम्भाचंद्र मित्रा’ की पुत्री थीं। हेरम्भाचंद्र ब्रह्मों समाज के सदस्य थे। 27 फरवरी 1923 को प्रशांत और निर्मला ने हेरम्भाचंद्र मित्रा की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर ली। उस शादी के समय प्रशांत के मामा ‘सर नीलरतन सरकार’ ने लड़की के पिता की सारी रस्में निभाई।[3]

मृत्य: संपादित करें

28 जून 1972 को कोलकाता में प्रशांत चंद्र महालनोबिस का देहांत हो गया।[4]

संदर्भ: संपादित करें


संबंधित कड़ियाँ: संपादित करें

  1. https://www.presiuniv.ac.in/web/
  2. https://www.cam.ac.uk/
  3. https://artsandculture.google.com/asset/prasanta-chandra-mahalanobis-and-his-wife-nirmal-kumari-mahalanobis/HwEcCd0nxvgaQ
  4. भारतीय सांख्यिकी संस्थान
  5. पी॰ सी॰ महालनोबिस


  1. "P.C. Mahalanobis | Biography, Education, & Facts". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-02-15.
  2. "P.C. Mahalanobis | Biography, Education, & Facts". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-02-15.
  3. "P.C. Mahalanobis | Biography, Education, & Facts". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-02-15.
  4. "P.C. Mahalanobis | Biography, Education, & Facts". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-02-15.