सीरवी
आई माता/बिलाड़ा माता सीरवी जाति के लोगो की कुलदेवी हैं तथा इस देवी का मंदिर जोधपुर जिले के बिलाड़
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (अगस्त 2020) स्रोत खोजें: "सीरवी" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
सीरवी एक जाति है, राजस्थान के मारवाड़ और गौडवाड़ क्षेत्र में रह रही हैं। इसकी उत्पत्ति क्षत्रिय राजपूतों से है ,कालान्तर में यह जाति राजस्थान के जोधपुर और पाली जिले में अधिक संख्या में पाई जाती है । इस जाति की उत्पत्ति 14 वी शताब्दी में जालोर के सोनगरा चौहान राजा कान्हड़ देव के राज्य पतन के उपरांत बताया गया है ,जब खिलजी मारवाड़ में राजपूत जाति का अस्तित्व समाप्त करना चाहता था , उसी समय जालोर के वंश और समंतो ने अपना जाति को छुपा कर रहने लगे ,उसके बाद वे सभी सीरवी जाति के रूप में जानें गए,सीरवी जाति को राजपूत और जाट जाति के समुख माना जाता है।सीरवी समाज की चोयल गोत्र कि कुलदेवी आशापुरा माताजी नाडोल पाली एवं कुलदेव चारभुजानाथ जी चारभुजा राजसंमद हैं।
सन्दर्भ संपादित करें
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
[[श्रेणी:राजस्थान के सामाजिक समुदाय]