स्टर्लिंग संख्याएँ (Stirling numbers) गणितीय विश्लेषण की कई शाखाओं में काम आती हैं। इनके प्रस्तुतकर्ता जेम्स स्टर्लिंग के नाम पर इनका नाम पड़ा। ये प्रथम और द्वितीय, दो प्रकार की होती हैं।

(1 + x) (1 + 2 x)। .... (1 + n x) = 1 + nS1 x + nS2 x2 + nS3 x3 +....]

x के आरोही क्रमवाले उपरिलिखित प्रसार के गुणांक, प्रथम प्रकार की n कोटि की स्टर्लिंग संख्याएँ हैं।

द्वितीय प्रकार की स्टर्लिंग संख्याएँ निम्नलिखित प्रकार के x के गुणांकों में हैं :

1 / [ (1 + x) (1 + 2 x)। .... (1 + n x) ] = 1 - nT1 x + nT2 x2 - nT3 x3 +....

स्टर्लिंग संख्याओं के गुण संपादित करें

उपर्युक्त परिभाषा से निम्नलिखित प्रमेय प्राप्त होते हैं :

(१) प्रथम n पूर्णाकों में से यदि पुनरावृत्ति बिना p को लिया जाए तो इनके गुणनफलों का योग प्रथम प्रकार की n कोटि की pवीं (pth) स्टर्लिंग संख्या के बराबर होता है।

(२) प्रथम n पूर्णांकों में से यदि पुनरावृत्तियों सहित p को लिया जाए, तो इनके गुणनफलों का योग द्वितीय प्रकार की n कोटि की pवीं (pth) स्टर्लिंग संख्या के बराबर होता है।

स्टर्लिंग ने xn को निम्नलिखित क्रमगुणित श्रेणी में प्रदर्शित किया :

x2 = x (x - 1) + x

x3 = x (x - 1) (x - 2) + 3 x (x - 1) + x

x4 = x (x - 1) (x - 2) (x - 3) + 6 x (x - 1) (x - 2) + 7 x (x - 1) + x

x5 = x (x - 1) (x - 2) (x - 3) (x - 4) + 10 x (x - 1) (x - 2) (x - 3) + 25 x (x - 1) (x - 2) + 15 x (x - 1) + x

ऊपर लिखे विभिन्न क्रमगुणितों (Factorials) के गुणांक, जैसे 1.1 ; 1.31; 1.6.7.1; 1.10.25.15.1 द्वितीय प्रकार की स्टर्लिंग संख्याएँ हैं।