स्थलीय घोंघा एक अमेरूदण्डीय प्राणी है,[1]जो नमी युक्त घास के मैदान तथा बगीचों में पाया जाता है।[2]यह स्वभाव से एक निशाचार (रात में चरने वाला) प्राणी है और चट्टानों तथा लकड़ी के लठ्ठों के नीचे आराम करता है। यह एक शाकाहारी प्राणी है। इसका का शरीर नरम होता है जो एक घुमावदार एवं कड़े खोल में बन्द रहता है।[3] खोल में एक बड़ा छिद्र होता है जो एक ढक्कन के द्वारा बन्द रहता है। ढक्कन के खुलने से मांसल पाद बाहर निकलकर चलने लगता है। ज्यों ही किसी आघात का आभास होता है, पाद अन्दर चला जाता है एवं ढक्कन बन्द हो जाता है। सिर पर एक मुख और दो जोड़े बड़े एवं छोटे टेन्टाकिल्स होते हैं। बड़े टेन्टाकिल्स पर एक-एक आँखें पायी जाती हैं।[4][5]

स्थलीय घोंघा

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Fredericks, Anthony D. (2010). How Long Things Live & How They Live As Long As They Do. Stackpole Books. पृ॰ 73. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780811736220. अभिगमन तिथि 19 June 2012.
  2. "Floor tiles made of coloured snail poo by Lieske Schreuder - design". 26 November 2013. अभिगमन तिथि 29 March 2018.
  3. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  4. Monroe, Don (3 March 2006). "Why the inner ear is snail shaped". Physical Review Focus. खण्ड 17. पृ॰ 8.
  5. "Snails used in Jewellery".

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