हिन्दी बाल साहित्य की बहुत समृद्ध परम्परा हॅ। बाल साहित्य के अन्तर्गत वह समस्त साहित्य आता है जिसे बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखा गया हो। बाल साहित्य में रोचक कहानियाँ एवं कविताएँ प्रमुख हैं।

'रवीद्रनाथ टैगोर का बाल साहित्य' नाम से बच्चों के लिए लिखी गईं उनकी कुछ कविताएँ और कहानियाँ दो भागों में प्रकाशित हुई हैं। हिन्दी बालसाहित्य मे मुख्यतः सामाजिक प्राचीन परंपरा की शिक्षा बच्चों को दी जाती है| बहुत सी कविताएं हमारे समाज मे बिखरी हुई है, जिसका संकलन ओर प्रकाशन अभी भी श्रुति - परंपरा से हो रहा है| जैसे- बालो हम जगदानन्द, नमे बाला सरस्वती| साते भवतु सुप्रीत देवी शिखर वासिनी इत्यादि| इस तरह की बाल सुलभ कविताएं बच्चों को सुलभ ग्राह्य होती है|बच्चों का कोमल हृदय माता और प्रकृति से ज्यादा ग्रहण करता है|

हिन्दी में बाल साहित्य का एक बङा स्रोत पंचतंत्र की कथाएँ हैं।

बाल गीत कविताओं में महाराणा प्रताप का घोड़ा, झाँसी की रानी बच्चों को प्रेरित करतीं आईं हैं।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

बाल पत्रिकाएँ, चंदामामा, टिंकल (हिंदी)