गणित में, होलोमार्फिक फलन अथवा पूर्णसममितिक फलन सम्मिश्र विश्‍लेषण में केन्द्रिय उद्देश्य का अध्ययन है। एक होलोमार्फिक फलन एक अथवा अधिक सम्मिश्र चरों का सम्मिश्र फलन है जो अपने प्रांत में प्रत्येक बिन्दु के प्रतिवेश में सम्मिश्र अवकलनिय हो।

एक आयताकार ग्रिड (उपर) और उसका f अनुकोण प्रतिचित्रण प्रतिबिम्ब (नीचे)।

परिभाषा संपादित करें

माना सम्मिश्र फलन f केवल एक सम्मिश्र चर पर निर्भर है, f इसके प्रांत में का बिन्दु z0 पर अवकलन निम्न सीमा द्वारा परिभाषित होता है:[1]

 

यह अवकलन वास्तविक फलनों के अवकलन के समान ही है केवल अन्तर इतना है कि यहां पर सभी चर सम्मिश्र हैं।

यदि f संबद्ध विवृत समुच्चय U में के प्रत्येक बिन्दु z0 पर सम्मिश्र अवकलनीय है तब हम कहते हैं कि f, U पर होलोमार्फिक है। यदि f किसी बिन्दु z0 के प्रतिवेश में अवकलनीय है तो हम कहते हैं कि f बिन्दु z0 पर होलोमार्फिक है।[2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "सम्मिश्र अवकलन" (PDF). मूल से 2 फ़रवरी 2013 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 4 मई 2013.
  2. "होलोमार्फिसिटी (पूर्णसममितिकता)" (PDF). मूल (PDF) से 11 दिसंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मई 2013.