अंकुर पारे

डॉ. अंकुर पारे एक भारतीय समाजशास्त्री, शिक्षाविद और परोपकारी है|


डॉ. अंकुर पारे (जन्म 20 दिसंबर 1984) एक भारतीय समाजशास्त्री, शिक्षाविद और परोपकारी है| उन्हें अपने काम के लिए कई पुरस्कार मिले हैं| उन्हें भारत सरकार द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मध्यप्रदेश राज्य स्तर राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।[1]

डॉ. अंकुर पारे

डॉ. अंकुर पारे
जन्म डॉ. अंकुर पारे
20 दिसम्बर 1984 (1984-12-20) (आयु 39)
मध्य प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा पोस्ट डॉक्टरल फ़ैलो
पीएच.डी. (समाजशास्त्र)
एम.फिल (समाजशास्त्र)
यूजीसी नेट (समाजशास्त्र)
एम.ए. (समाजशास्त्र)
एलएलबी
बी.कॉम (टैक्सेशन)
कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा
योग साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा
पेशा समाजशास्त्री, शिक्षाविद और परोपकारी
पुरस्कार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार
मध्यप्रदेश राज्य स्तर राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}
वेबसाइट
drankurpare.com

जीवनवृत्त संपादित करें

डॉ. अंकुर का जन्म 20 दिसंबर 1984 को मध्य प्रदेश के गाँव दुलिया, हरदा (म.प्र) में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता उच्च शिक्षित नहीं हैं। वह ऐसे माहौल में पले-बढ़े जहां पर्याप्त संसाधन नहीं थे और शिक्षा का कोई महत्त्व नहीं था। उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गाँव के स्कूल में ही हुई थी| उन्होंने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से स्नातक की पढ़ाई की और एलएलबी किया। उन्होंने मास्टर डिग्री (समाजशास्त्र), यूजीसी-नेट (समाजशास्त्र), एम.फिल (समाजशास्त्र) से किया और फिर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।[2] डॉ. पारे भारत सरकार के मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के आईसीएसएसआर में पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फैलो थे। उन्होंने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से शिक्षाविद और समाजशास्त्री डॉ. आशा सिंह के मार्गदर्शन में डॉक्टरेट पूरा किया। उन्होंने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया है एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन योग साइंस भी किया है।[3][4]

कैरियर संपादित करें

समाजशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता के अलावा, डॉ. अंकुर पारे एक लेखक भी हैं।[5] उन्होंने कई सामाजिक कारणों और समाज में मौजूद विकृतियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई लेख लिखे हैं। उनकी पुस्तक "विस्थापित परिवारों का समाजशास्त्रीय अध्ययन" में विस्थापित परिवारों की समस्याओं, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक संगठन और सांस्कृतिक प्रणाली का वर्णन है।[6][7]

पुरस्कार संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "पोस्ट डॉक्टरल फेलो के लिए चयन". दैनिक भास्कर. 3 फरवरी 2016.
  2. Chaudhary, Anil. "खौलते डामर में बछड़े को गिरा देख बच्चे ने किया कुछ ऐसा कि इंटरनेशनल लेवल पर नवाजा गया". राजस्थान पत्रिका.
  3. "Multifaceted Personality, Renowned Sociologist and Philanthropist Dr. Ankur Pare is an out-and-out achiever". International Business Times (अंग्रेज़ी में). 24 सितम्बर 2020.
  4. Dhiman, Virender (1 दिसम्बर 2020). "Renowned sociologist Dr. Ankur Pare is a social reformer and a change-maker in the true sense". The Asian Chronicle. मूल से 19 फ़रवरी 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जनवरी 2021.
  5. "Acclaimed sociologist & humanitarian Dr Ankur Pare puts focus on displaced families through his book". DNA India (अंग्रेज़ी में). 15 अक्टूबर 2020.
  6. "Sociologist Dr. Ankur Pare: The man whose love and quest for education is never-ending". यूनाइटेड न्यूज आफ इंडिया (अंग्रेज़ी में). 23 नवंबर 2020.
  7. "विरासत में मिले संस्कारों ने बनाया समाजसेवी". hindi.webdunia.com.
  8. "Dr Ankur Pare is determined to create a just and equal society". The Statesman. 5 सितम्बर 2020.

बाहरी कडियां संपादित करें