अंगुल
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अंगुल वैदिक काल की हिन्दू लम्बाई मापन की इकाई है। एक अंगुल की लम्बाई एक मानव हस्त की अंगुली की मोटाई के बराबर होती है। (वायु पुराण के अनुसार एक अंगुल, अंगुली की एक गांठ के बराबर है और अन्य प्राधिकारियों के अनुसार सिरे पर अंगुष्ठ की मोटाई के बरबर है।)[1] वायु ने मनु के अधिकार के अन्तर्गत उपर्युक्त समान गणना दी है, जो कि मनु संहिता में नहीं उल्लेखित है।
- 21 अंगुल= 1 रत्नि
- 24 अंगुल= 1 हस्त
- 2 रत्नि= 1 किश्कु
- 4 हस्त= 1 धनु
- 2000 धनु= l गाव्यूति
- 8000 धनुष= 1 योजन
एक अंगुल बराबर होता है दस दस जौ के दानों के। छः अंगुल बराबर होते हैं एक पद के।
परिमाण
संपादित करेंविष्णु पुराण के अनुसार मानव हस्त परिमाण इस प्रकार हैं:-
- अंगुष्ठ से दूरी (दांये चित्र में देखें)
(वायु पुराण के अनुसार एक अंगुल, अंगुली की एक गांठ के बराबर है, और अन्य प्राधिकारियों के अनुसार सिरे पर अंगुष्ठ की मोटाई के बराबर है.)[2] वायु ने मनु के अधिकार के अन्तर्गत उपरोक्त समान गणना दी है, जो कि मनु संहिता में नहीं उल्लेखित है:-
- 21 अंगुल= 1 रत्नि
- 24 अंगुल= 1 हस्त
- 2 रत्नि= 1 किश्कु
- 4 हस्त= 1 धनु
- 2000 धनु= l गाव्यूति
- 8000 धनुष= 1 योजन
- 1 अंगुल = 16 mm से 21 mm
- 4 अंगुल = एकधनु ग्रह = 62 mm से 83 mm;
- 8 अंगुल = एक धनु मुष्टि (अंगुष्ठ उठा के) = 125 mm से 167 mm ;
- 12 अंगुल = 1 वितस्ति (अंगुषठ के सिरे से पूरे हाथ को खोल कर कनिष्ठिका अंगुली के सिरे तक की दूरी) = 188 mm से 250 mm
- 2 वितस्ति = 1 अरत्नि (हस्त) = 375 mm से 500 mm
- 4 अरत्नि = 1 दण्ड = 1.5 से 2.0 m
- 2 दण्ड = 1 धनु = 3 से 4 m
- 5 धनु = 1 रज्जु = 15 m से 20 m
- 2 रज्जु = 1 परिदेश = 30 m से 40 m
- 100 परिदेश = 1 कोस (या गोरत) = 3 km से 4 km
- 4 कोस या कोश = 1 योजन = 13 km से 16 km
- 1,000 योजन = 1 महायोजन = 13,000 Km से 16,000 Km
- 6 अंगुल= एक पद
- 2 पद= 1 वितस्ति
- 2 वितस्ति= 1 हस्त
- 4 हस्त= एक धनुष या दण्ड
- 2 धनुष/दण्ड= एक नाड़िका
- 2000 धनुष= एक गाव्यूति
- 4 गाव्यूति= एक योजन
- ब्रह्माण्ड का परिमाण
यह अधिक वर्णित नहीं है.
संदर्भ
संपादित करें- ↑ (A. R. 5. 104.)
- ↑ (A. R. 5. 104.)
- ↑ Source:[1]
“ आयत दशा च द्वे च योजनानि महापुरी ॥ श्रीमती त्रीणि विस्तीर्ण सु विभाकता महापथा॥ 1-5-7
„ 7. shriimatii= glorious one - city; su vibhaktaa mahaa pathaa= with well, devised, high, ways; mahaa purii= great, city; dasha cha dve= ten, and, two - twelve; yojanaani= yojana-s; aayataa= lengthy; triiNi [yojanaani] vistiirNaa= three [yojana-s,] in breadth.
That glorious city with well-devised highways is twelve yojana-s lengthwise and three yojana-s breadth wise. [1-5-7]
Yojana is an ancient measure of distance, where one yojana roughly equals to 8 to 10 miles. Its account is like this : 1 angula is 3/4 inch; 4 angula-s are = one dhanu graha - bow grip; 8 angula-s are = one dhanu muSTi - fist with thumb raised; 12 angula-s are = 1 vitasti - distance between tip of thumb and tip of last finger when palm is stretched; 2 vitasti-s = 1 aratni -s - cubit; 4 aratni-s = one danDa, dhanuS - bow height - 6 ft ; 10 danDa-s = 1 rajju 60 ft ; 2 rajju-s = 1 paridesha - 120 ft ; 2, 000 dhanuS-s = one krosha , and also called goraTa - 4, 000 yards ; 4 krosha-s = 1 yojana - thus one yojana is 9 to 10 miles. But the British Revenue measurement scaled it down to 5 miles, and all the dictionaries say that one yojana is 5 miles. But traditionally it is held as 10 miles. More info on these measures can be had from The Artha Shaastra of Kautilya - a republication of Penguin.