अखा भगत गुजराती कवि थे जिनका समय 1591-1656 ई. माना जाता है। ये अहमदाबाद (कर्णावती) के निवासी थे और बाद में वहीं की टकसाल में मुख्य अधिकारी हो गए थे। संसार से मन के विरक्त होने पर घर द्वार छोड़कर ये तीर्थयात्रा के लिए निकले और गुरु की खोज करते हुए काशी पहुँचे। ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर पुनः अहमदाबाद आए।

इन्होंने पंचीकरण, गुरु शिष्य संवाद, अनुभव बिंदु, चित्त विचार संवाद, आदि ग्रंथों की रचना की है। मिथ्याचार, दंभ, दुराग्रह, सामाजिक दुर्गुणों आदि पर भी इन्होंने कठोर प्रहार किया है।

जीवन संपादित करें

अखा भगत १७वी शाताब्दी में जेतलपुर से अहमदाबाद (कर्णावती) आए थे। उनका सुनार का व्यवसाय था तथा निवास खाड़िया में दसैनी-नी-पोल में था। आज उस जगह को अखा नो ओरडो या अखा का कमरा कहा जाता है।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें