अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद

प्राकृतिक चिकित्सा के विकास को समर्पित एक संस्था

अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद भारत में प्राकृतिक चिकित्सा के विकास को समर्पित एक संस्था है। इसकी संकल्पना 18 नवंबर 1945 को पुणे में महात्मा गांधी ने स्वयं की थी। इसका पंजीकरण मई, १९५६ में कलकत्ता (अब कोलकाता ) में हुआ था। वर्तमान समय में भी इसका मुख्यालय कोलकाता में ही है। देश-विदेश के अधिकांश आरोग्य मंदिर, निरोगधाम, स्वास्थ्य साधना केन्द्र, जीवन निर्माण आश्रम, आरोग्य निकेतन, प्राकृतिक जीवन केन्द्र, स्वास्थ स्वावलम्बन आश्रम, आरोग्यधाम, प्राकृतिक चिकित्सा, संस्थान, प्राकृतिक चिकित्सालय आदि की सूत्रधार रही अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद ने केन्द्र व राज्य सरकारों के अतिरिक्त विदेशी संस्थाओं व सरकारों को भी इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए सहयोग व मार्गदर्शन देने का उल्लेखनीय कार्य किया है। यह परिषद अ-सरकारी ढंग से योग व प्राकृतिक चिकित्सा के व्यापक प्रचार प्रसार की नीतियाँ बनाने से लेकर इसके राष्ट्रीय संस्थान व अनुसंधान परिषद की स्थापना के लिए सरकारों की एकमात्र राष्ट्रीय सहयोगी संस्था है। चिकित्सा शिविरों, संगोषिठयों, कार्यशालाओं, शैक्षिक कार्यक्रमों, पाठयक्रमों, स्वास्थ्य संदेश यात्राओं, प्रदर्शनियों, आरोग्य मेलों के माध्यम से समाज के अनितमजन तक पहुँचने के लिए परिषद सदैव सक्रिय है।

परिषद का लक्ष्य है-प्रकृति प्रेमी विज्ञान के सभी प्रेमियों, अनुयायियों, शिक्षकों और चिकित्सकों के लिए एक साझा मंच को एकजुट करना और प्रदान करना, और उन्हें विशेष रूप से तकनीकी और आर्थिक रूप से उनके प्रोस्पेक्टस में सुधार करने में सक्षम बनाना।

20वीं सदी में गाँधीजी ने कुदरती उपचार को आरोग्य का एकमात्र साधन मानकर ग्राम्य संस्कृति पर आधारित योगप्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार प्रसार के निमित्त 23 मार्च 1946 को ऊरूलीकाचन, पूना में निसर्गोपचार आश्रम का शुभारम्भ किया। गाँधी की इच्छा "अपने चिकित्सक स्वयं बनो और स्वस्थ रहो" के कार्यक्रम को पूरे विश्व में फैलाने की रही है। गाँधी जी ने अपने प्रमुख सहयोगी बालकोवा भावे को इस पूरे निसर्गोपचार कार्यक्रम का उत्तरदायित्व सौंपा।

गाँधी जी की प्रेरणा से आरोग्य जीवन के साधक बालकोवा भावे जी के मागदर्शन में अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का गठन हुआ। स्वनामधन्य प्राकृतिक चिकित्सक डा0 खुशीराम दिलकश (लखनऊ), डा0 कुलरंजन मुखर्जी, श्री राधाकृष्ण नेवटिया, श्री धरमचन्द सरावगी, श्री बजरंग लाल लाठ (सभी कलकत्ता), श्री मनोहर लाल पवार (इन्दौर), डा0 वेंकटराव (हैदराबाद), डा0 नारायण रेडडी (वर्धा), रामेश्वर लाल जी (राजस्थान), डा0 पृथ्वीनाथ शर्मा (ग्वालियर), डा0 सत्यपाल (करनाल), डा0 आत्माराम कृष्ण भागवत (बिहार), डा0 जे. एम. जस्सावाल (मुम्बई) आदि इस कार्य के सहभागी बने। कुदरती उपचार के व्यापक शिक्षण-प्रशिक्षण, उपचार, साहित्य सृजन व शोध आदि के निमित्त 8, इस्प्लानेड ईस्ट, कोलकता के पते से संचालित इस परिषद का विधिवत पंजीकरण कलकत्ता से 10.05.1956 में हुआ । इन्ही उददेश्यों की पूर्ति के लिए परिषद ने सर्वप्रथम डायमंड हार्वर रोड़, कोन चौकी, कलकत्ता के विशाल प्राकृतिक सुरम्य भूखण्ड में भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा विद्यापीठ का शुभारम्भ किया।

कुछ ही वर्षों में परिषद की गतिविधियाँ पूरे भारत में फैल गईं। पूरे देश में चल रहे परिषद के कार्यों के लिए केन्द्रीय गाँधी निधि के परिसर में राजघाट कालोनी, नई दिल्ली में कुछ वर्षों के लिए प्रशासनिक कार्यालय स्थापित हुआ।लेकिन अब संगठन अपने प्रधान कार्यालय, यानी 97/3, नस्कर पारा रोड, घुसुरी, हावड़ा, पश्चिम बंगाल- 711107 से काम कर रहा है।[1] परिषद की सभी गतिविधियाँ आज भी सक्रियता से चल रही हैं। अपने-अपने समय की स्वनामधन्य विभूतियों यथा ए. अरूणाचलम श्रीमन्नारायण, मोरारजी भाई देसाई, माननीय देवेन्द्र भाई, प्रो0 सिंहेश्वर प्रसाद, माननीया निर्मला देशपाण्डेय, माननीय सी. ए. मेनन, माननीय जे. चिंचालकर, पदमश्री वीरेन्द्र हेगडे़, डा0 वेगीराजू, डा0 कर्ण सिंह, डा0 के. लक्ष्मण शर्मा, डा0 स्वामी नारायण, डा0 जानकीशरण वर्मा, डा0 विट्ठलदास मोदी, डा0 हीरालाल आदि के मार्गदर्शन, सानिध्य व सहयोग से परिषद ने अपने कार्यों को नई ऊचाइयाँ दी। वर्तमान में

एकयुप्रेशर योग नेचुरोपैथी काउंसिल  नेचुआ जलालपुर गोपालगंज बिहार परिषद का नेतृत्व डा0 श्री प्रकाश बरनवाल कर रहे हैं। जो एक प्रख्यात प्राकृतिक चिकित्सक हैं और डॉ हीरालाल,  डा0 चंद्रमा प्र0 , डा0 बिठल दास मोदी के सहयोगी  हैं।  

योग व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार प्रसार के लिए परिषद अपनी शोध मासिक पत्रिका प्रकाशन करती रही है। परिषद की मासिक पत्रिका नियमित पाठकाें के साथ निंरतर प्रकाशित हो रही है।[2]

अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद योग प्रमाणन बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के व्यक्तिगत प्रमाणन निकाय के रूप में काम कर रही है।

गतिविधियाँ[3]

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  • पत्रिका का प्रकाशन,
  • प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) के चिकित्सकों का पंजीकरण
  • डी.एन.वाई.एस. नामक नैचुरोपैथी परीक्षा का आयोजन
  • प्राकृतिक चिकित्सालयों की स्थापना में मदद करना
  • प्राकृतिक चिकित्सा संस्थानों का पंजीकरण
  • पूरे देश में शिविर और सम्मेलन आयोजित करना
  • रचनात्मक, सामाजिक और शैक्षिक संस्थानों में प्रकृति चिकित्सा की शिक्षा
  • योग प्रमाणन बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के तहत व्यावसायिक योग प्रमाणन परीक्षा
  1. "Yoga Certification Board (YCB) – Akhil Bharatiya Prakritik Chikitsa Parishad-PrCB" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-20.
  2. [www.abpcp.co.in "Publications | Akhil Bharatiya Prakritik Chikitsa Parishad"] जाँचें |url= मान (मदद). yognature.org. अभिगमन तिथि 2021-04-21.
  3. [www.abpcparishad.com "About Parishad | Akhil Bharatiya Prakritik Chikitsa Parishad"] जाँचें |url= मान (मदद). yognature.org. अभिगमन तिथि 2021-04-21.

3. https://yogacertificationboard.nic.in/approved-yoga-prcbs/

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  • www.abpcp.co.in