अगरबत्ती एक बत्ती है जिसे जलाने पर सुगंधित धुँआ निकलता है। Incense sticks अगरबत्ती का उपयोग लगभग प्रत्येक भारतीय घर, दुकान तथा पूजा-अर्चना के स्थान पर अनिवार्य रूप से किया जाता है। सुबह की दिनचर्या प्रारंभ करने से पहले प्रत्येक घर में अगरबत्ती जलाई जाती है, जो स्वतः ही इस उत्पाद की व्यापक खपत को दर्शाता है। अगरबत्तियां विभिन्न सुगंधों जैसे चंदन, केवड़ा, गुलाब आदि में बनाई जाती हैं। अधिकांशतः उपभोक्ताओं को इनकी किसी विशेष सुगंध के प्रति आकर्षण बन जाता है तथा वे प्रायः उसी सुगंध वाली अगरबत्ती को ही खरीदते हैं।

जलती हुईं अगरबत्तियाँ

निर्माण प्रक्रिया संपादित करें

अगरबत्ती के निर्माण की प्रक्रिया अत्यन्त आसान है तथा घर में ही कम पूंजी तथा बिना किसी मशीन के प्रयोग से यह इकाई स्थापित की जा सकती है। इसकी निर्माण की प्रक्रिया भी ऐसी है कि इसके निर्माण में घर के सभी सदस्य हाथ बंटा सकते हैं। इस प्रकार घरेलू स्तर पर ही अत्यन्त अल्प पूंजी से स्थापित करके यह उद्योग अनेक शिक्षित बेरोजगार युवकों तक के लिए जीविकोपार्जन का साधन बन सकता है।

अगरबत्ती निर्माण की प्रक्रिया काफी सरल है तथा अनेक स्थानों जैसे, बंगलुरु, अहमदाबाद, मैसूर, कन्नौज आदि शहरों में यह कार्य घर-घर होता है। इसे बनाने में जो प्रमुख कच्चे माल काम में आते हैं वे हैं - लकडी, सफेद चंदन, लकड़ी का कोयला (चारकोल), राल तथा गूगल आदि। इनमें सर्वप्रथम सफेद चंदन तथा लकड़ी के कोयले को अच्छी तरह पीस लिया जाता है। इसके उपरांत गूगल को पानी में मिलाकर खरल करके उसकी लेई बना ली जाती है। इसके उपरांत इसमें पीसा हुआ चंदन सफेद, राल तथा लकड़ी का कोयला (चार कोल) मिला दिया जाता है। इस प्रकार यह मसाला तैयार हो जाता है।

इस गूंथे हुए मसाले को बांस की तालियों (सीकों) पर लगाया जाता है। तीलियों पर मसाला लगाने के अनेक तरीके प्रचलन में हैं। एक तरीके के अनुसार एक हाथ में हथेली पर मसाला लेकर उस पर तीली घुमाते हुए मसाला तीली पर चढा दिया जाता है। इसी प्रकार एक दूसरे तरीके में मसाले में से जरा सी गोली को बेलते हुए सींक पर मसाला चढा लिया जाता है। अच्छी सुगंधित अगरबत्ती बनाने के लिए मसाले में 1/8 भाग चंदन का बुरादा मिला लेना उपयुक्त रहता है।

बांस की तीलियां बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। इन तीलियों का साइज प्रायः 8 इंच से 10-12 इंच तक होता है। प्रायः एक किलो में लगभग 1300 तीलियां (मसाला लगाने के बाद) आती हैं। इस प्रकार इन तीलियों पर लगा मसाला सूख जाने के उपरांत इन्हें सुगंधित अगरबत्तियां बनाने के लिए मसाला लगाने के उपरांत या तो इन अगरबत्तियों को एक सुगंधित मिश्रण में डुबोया जाता है अथवा उस पर वह मिश्रण छिडक दिया जाता है। इस संदर्भ में एक अच्छे सुगंधित मिश्रण का फार्मूला इस प्रकार है-

 
अगरबत्ती के विभिन्न घटक

1. बेंजिन एसिटेट - 25 ग्राम

2. चंदन का तेल - 30 ग्राम

3. बेंजिन अल्कोहल - 5 ग्राम

4. लिनासूस - 10 ग्राम

5. लिनालिल एसिटेट - 5 ग्राम

6. अल्का एमाइल एल्डिहाइड- 2 ग्राम का अल्कोहल में 10 फीसदी घोल

7. इंडोल 10 फीसदी घोल - 5 ग्राम

इस प्रकार उद्यमी सुगंध के संदर्भ में अपनी पसंद का कोई और फार्मूला अथवा किसी और प्रकार की सुगंध का इस्तेमाल भी कर सकता है। साधारणतया अगरबत्तियों की पैकिंग 10-10 तीलियों की संख्या में चौकोर कार्डबोर्ड के डिब्बों में की जाती है। डिब्बों में पैक करने से पूर्व इन पर प्रायः सैलोफीन कागज अथवा पोलीथीन भी चिपकाया जाता है। आजकल अगरबत्तियों की पैकिंग हेतु प्लास्टिक के गोल तथा लम्बे डिब्बों का उपयोग भी किया जा रहा है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें