अगोचर सांस्कृतिक धरोहर
अगोचर सांस्कृतिक धरोहर या अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (intangible cultural heritage (ICH)) उन क्रियाकलापों, अनुरूपोणों, अभिव्यक्तियों, या कौशलों को कहते हैं जिसे यूनेस्को किसी स्थान की सांस्कृतिक धरोहर मान्य करता है। भवन, ऐतिहासिक स्थल, स्मारक, और हस्तशिल्प आदि सांस्कृतिक सम्पत्तियाँ हैं। अगोचर सांस्कृतिक धरोहरें वे सांस्कृतिक धरोहरें हैं जो अभौतिक हैं अर्थात् जिन्हें आँख से देखा नहीं जा सकता, जैसे- लोककथा, प्रथाएँ, विश्वास (beliefs), परम्पराएँ, ज्ञान, और भाषा आदि।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत केवल स्मारकों या कला वस्तुओं के संग्रहण तक ही सीमित नहीं होता है। इसमें उन परम्पराओं एवं प्रभावी सोचों को भी शामिल किया जाता है जो पूर्वजों से प्राप्त होते हैं ओर अगली पीढ़ी को प्राप्त होते हैं जैसे- मौखिक रूप से चल रही परम्पराएँ, कला प्रदर्शन, धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सव और परम्परागत शिल्पकला। यह अमूर्त सांस्कृतिक विरासत अपने प्रकृति के अनुरूप क्षणभंगुर है और इसे संरक्षण करने के साथ-साथ समझने की भी आवश्यकता है क्योंकि वैश्वीकरण की इस बढ़ते दौर में सांस्कृतिक विविधताओं को अक्षुण्ण रखना एक महत्वपूर्ण कारक है।
भारत की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरें
संपादित करेंभारत में अनोखी सांस्कृतिक धरोहरों का भण्डार है, जिनमें से 14 को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी मान्यता दी है। इस राष्ट्रीय सूची का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के विभिन्न राज्यों में मौजूद अमूर्त सांस्कृतिक विरासत तत्त्वों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उल्लेखनीय है कि यह पहल संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2024 का एक भाग भी है।
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये यूनेस्को के वर्ष 2003 के कन्वेंशन का अनुसरण करते हुए संस्कृति मंत्रालय ने इस सूची को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करने वाले पाँच व्यापक डोमेन में वर्गीकृत किया है-
- (१) अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के एक वाहक के रूप में भाषा सहित मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्ति
- (२) प्रदर्शन कलाएँ
- (३) सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान और उत्सव
- (४) प्रकृति एवं ब्रह्माण्ड के विषय में ज्ञान तथा प्रचलन (practices)
- (5) पारंपरिक शिल्प कौशल।
भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 38 मूर्त विरासत धरोहर स्थल (30 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं और 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें हैं। इस सूची में निम्नलिखित धरोहरें सम्मिलित हैं-
- (1) वैदिक जप की परम्परा
- (2) रामलीला
- (3) कुटियाट्टम
- (4) राममन -- गढ़वाल के धार्मिक त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान
- (5) मुदियेट्टू -- केरल का नृत्य नाटक
- (6) कालबेलिया लोकगीत और राजस्थान के नृत्य
- (7) छऊ नृत्य
- (8) लद्दाख का बौद्ध जप
- (9) मणिपुर का संकीर्तन -- पारम्परिक गायन, नगाड़े और नृत्य
- (10) पंजाब के ठठेरों द्वारा बनाए जाने वाले पीतल और तांबे के बर्तन
- (11) योग
- (12) नवरोज़
- (13) कुम्भ मेला।
- (14) दुर्गा पूजा,प.बंगाल