अग्रिम जमानत
अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) न्यायालय का वह निर्देश है जिसमें किसी व्यक्ति को, उसके गिरफ्तार होने के पहले ही, जमानत दे दिया जाता है (अर्थात आरोपित व्यक्ति को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।)।
भारत के आपराधिक कानून के अन्तर्गत, गैर जमानती अपराध के आरोप में गिरफ्तार होने की आशंका में कोई भी व्यक्ति अग्रिम जमानत का आवेदन कर सकता है। अदालत सुनवाई के बाद सशर्त अग्रिम जमानत दे सकती है। यह जमानत पुलिस की जांच होने तक जारी रहती है।[1] अग्रिम जमानत का यह प्रावधान भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा ४३८ में दिया गया है।[2] भारतीय विधि आयोग ने अपने ४१वें प्रतिवेदन में इस प्राविधान को दण्ड प्रक्रिया संहिता में सम्मिलित करने की अनुशंसा की थी।
अग्रिम जमानत का आवेदन करने पर अभियोग लगाने वाले को इस प्रकार की जमानत की अर्जी के बारे में सूचना दी जाती है ताकि वह चाहे तो न्यायालय में इस अग्रिम जमानत का विरोध कर सके।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "फर्जी मुकदमों पर लगाम लगाएगी अग्रिम जमानत". मूल से 7 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जुलाई 2015.
- ↑ AIR 1980 SC 1632