अणिमा
अणिमा भारत के महान हिन्दी कवि और रचनाकार पण्डित सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की एक काव्य रचना है।[1] अणिमा नामक, 1943 में प्रकाशित[2][3] इस कविता संग्रह[4] में निम्नलिखित कविताएं संकलित हैं:
- नूपुर के सुर मन्द रहे बादल छाये
- जन-जन के जीवन के सुन्दर
- उन चरणों में मुझे दो शरण
- सुन्दर हे, सुन्दर
- दलित जन पर करो
- भाव जो छलके पदों पर
- धूलि में तुम मुझे भर दो
- तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
- मैं बैठा था पथ पर
- मैं अकेला
- स्नेह-निर्झर बह गया है
अणिमा | |
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देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
विषय | साहित्य |
प्रकाशन तिथि |
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अणिमा निराला के इससे पहले की काव्य रचनाओं से कुछ अलग स्वर में विरचित कृति है जैसे कवि का अपने पहले के विचारों से मोहभंग हो रहा हो।[5] "स्नेह निर्झर बह गया है" नामक कविता के शुरूआती अंश निम्नवत हैं:
"स्नेह निर्झर बह गया है
रेत ज्यों तन रह गया है
आम की यह डाल जो सूखी दिखी
कह रही है - अब यहाँ पिक या शिखी
नहीं आते, पंक्ति मैं वह हूँ लिखी
नहीं जिसका अर्थ
----जीवन दह गया है"[6]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ प्रो॰ आर॰पी॰ चतुर्वेदी (२०१०). Great Personalities [महान व्यक्तित्व] (अंग्रेज़ी में). उपकार प्रकाशन. पृ॰ ४३. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788174820617. मूल से 5 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 फ़रवरी 2015.
- ↑ गोपा सभर्वाल (२०००). "The Indian millennium, AD 1000-2000" [भारतीय सहस्त्राब्दी, ई॰ १०००-२०००] (अंग्रेज़ी में). पेंगुइन बुक्स (मूल प्रकाशक: यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन). पृ॰ ५४८. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780140295214. मूल से 5 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 फ़रवरी 2015.
- ↑ निराला रचनावली (भाग-2) Archived 2015-01-18 at the वेबैक मशीन, पृष्ठ- 12
- ↑ "सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की पुस्तकें". मूल से 18 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि जनवरी 2015.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ हिन्दी स्वछंदवादी काव्य Archived 2015-01-18 at the वेबैक मशीन, अब्दुल बिस्मिल्लाह, पृष्ठ- 219
- ↑ हिन्दी स्वछंदवादी काव्य Archived 2015-01-18 at the वेबैक मशीन, अब्दुल बिस्मिल्लाह, पृष्ठ- 220