अति सूक्ष्म राशि
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जब लैबनितज़ ने कलन क़ी स्थापना क़ी, तो उसने "अति सूक्ष्म राशि" क़ी सदुपयोग की। उदाहरण: f′(x) अवकलज है इस फलन का f(x) = x2
लेकिन ईसाई पादरी बार्क्ली ने इस दावे की सख़्त निंदा की, इसीलिए कि dx शून्य के बराबर है, तो उससे भागफल निकालना असंभव होना चाहिए। आधुनिक गणित में दो तरीक़े हैं जिससे अति सूक्ष्म राशि बिना प्रतिवाद प्रयोग में लिए जा सकते हैं। एक है रॉबिनसन का नियत-से-बाहर कलन और दूसरा है मोर्दीक और रेस का बिना झटके का कलन ("smooth infinitesimal analysis")|