अनंतचरण साईबाबू (१९१५ -१९८९) एक छाउ गुरु थे ।[1] वह मयूरभंज छाउ कला शिक्षादान करतेथे। इस कला के लिए इन्हे १९७१ साल के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है।[2]

अनंतचरण साईबाबू
जन्म १९१५
बारिपदा
मौत १९८९
पेशा मयूरभंज छाउ गुरु
माता-पिता राधामोहन साईबाबू
पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
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अनंतचरण, यह कला पहले आपने पिता राधामोहन साईबाबू और बाद में गुरु दिबाकर भंजदेओ तथा रजाक खान से सीखे थे। बारिपदामें "नृत्य प्रतिष्ठान" में इन्होंने बहुत छऊ नृत्य शिल्पी तैयार किये हैं।[3] १९८९ में इनका देहांत के बाद इनके भतीजे जन्मेजय साईबाबू और उनके दोनों पुत्र राजेश और राकेश इस कलाको आगे ले जा रहे हैं।[4]

सम्मान व पुरस्कार संपादित करें

  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार - १९७१[5]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. http://www.asianage.com/life/art/070318/time-to-reclassify-chhau-as-classical.html
  2. Sangeet Natak. Sangeet Natak Akademi. 1999.
  3. The Oxford Companion to Indian Theatre Archived 2016-12-20 at the वेबैक मशीन by Lol Ananda,Oxford University Press, ISBN 978-0-19-564446-3
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2018.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2018.