अनुच्छेद 19 (भारत का संविधान)
अनुच्छेद 19 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 3 में शामिल है और स्वातंत्र्य के अधिकारों का वर्णन करता है। यह भारत के संविधान में वर्णित मूल अधिकारों का हिस्सा है। मूल अधिकार उपलब्ध कराने वाले, इससे पहले के अन्य, अनुच्छेद जहाँ कई चीजों के प्रतिषेध (मनाहीं) द्वारा मूल अधिकारों के संरक्षण हेतु कार्य करते हैं, वहीं यह अनुच्छेद सकारात्मक कथन के रूप में कुछ मूल अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 19 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 3 |
विषय | स्वतंत्रता का अधिकार (मूल अधिकार) |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 18 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 20 (भारत का संविधान) |
भारतीय संविधान के मूल पाठ में कुल सात आज़ादियाँ वर्णित थीं। हालाँकि, बाद में 44वें संशोधन द्वारा इनमें से संपत्ति का अधिकार हटा दिया गया (निरसित कर दिया गया) और अब इस अनुच्छेद में कुल छह अधिकार वर्णित हैं जिन्हें भारतीय संविधान के स्वतंत्रता के अधिकारों के रूप में जाना जाता है।
इन्हीं के निर्वचन से अन्य कई किस्म की आज़ादियाँ जुड़ी हुई हैं - जैसे भारत का झंडा फहराने का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत ही आता है, प्रेस की आज़ादी भी इसी तरह इसी अनुच्छेद द्वारा प्रदत्त है।
इसी अनुच्छेद द्वारा प्रदत्त, भारतीय नागरिक द्वारा भारत के राज्यक्षेत्र में कहीं भी बस जाने जैसे अधिकार कुछ ख़ास दशाओं में अवरोधित/अधिरोपित भी रहे हैं; जैसे जम्मू-काश्मीर में बाहरी राज्यों के नागरिको के बस जाने पर रोक थी।
भारतीय संविधान के विशेषज्ञ, विश्लेषणकर्ता एवं टिप्पणीकार आचार्य दुर्गा दास बसु के शब्दों में, "अनुच्छेद 19, मूल अधिकार के अध्याय का क्रोड़ है।"[1]
पृष्ठभूमि
संपादित करेंमूल पाठ
संपादित करें“ |
19. (1) सब नागरिकों को— वाक्-स्वातन्त्र्य आदि विषयक कुछ अधि-कारों का संरक्षण (क) वाक्-स्वातन्त्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातन्त्र्य का, |
” |
“ | [(२) खंड (१) के उपखंड (क) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिये गये अधिकारों के प्रयोग पर राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार के हितों में या न्यायालय-अवमान, मानहानि या अपराध उद्दीपन के संबंध में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगाती हो वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निर्बन्धन लगाने वाली कोई विधि बनाने में राज्य के लिये कोई रुकावट, न डालेगी।][3]
(३) उक्त खंड के उपखंड (ख) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिये गये अधिकार क प्रयोग पर सार्वजनिक व्यवस्था के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगाती हो वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निर्बन्धन लगाने वाली कोई विधि बनाने में राज्य के लिये रुकावट, न डालेगी। (४) उक्त खंड के उपखंड (ग) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिये गये अधिकार के प्रयोग पर सार्वजनिक व्यवस्था या सदाचार के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगाती हो वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निर्बन्धन लगाने वाली कोई विधि बनानेमें राज्य के लिये रुकावट, न डालेगी। (५) उक्त खंड के उपखंड (घ), (ङ) और (च) की कोई बात उक्त उपखंडों द्वारा दिये गये अधिकारों के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों के अथवा किसी अनुसूचित आदिमजाति के हितों के संरक्षण के लिये युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगाती हो वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निर्बन्धन लगाने वाली कोई विधि बनाने में राज्य के लिये रुकावट, न डालगी। (६) उक्त खंड के उपखंड (छ) की कोई बात उक्त खंड द्वारा दिये गये अधिकार के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई वर्तमान विधि लगाती हो वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा वैसे निर्बन्धन लगाने वाली कोई विधि बनाने में राज्य के लिये रुकावट, न डालेगी; तथा विशषतः [१][उक्त उपखंड की कोई बात—
जहां तक कोई वर्तमान विधि संबंध रखती है वहां तक उस के प्रवर्तन पर प्रभाव, अथवा सम्बन्ध रखने वाली किसी विधि को बनाने में राज्य के लिए रुकावट, न डालेगी] [4] |
” |
इन्हें भी देखें
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टिप्पणी
संपादित करें- ↑ अनुच्छेद 19 के खंड च का "संविधान (चौवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978" द्वारा 20 जून 1979 से लोप कर दिया गया
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ बसु 2008, पृ॰ 101.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). अनुच्छेद 19, भारत का संविधान. पृ॰ 59 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). अनुच्छेद 19, भारत का संविधान. पृ॰ 59 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). अनुच्छेद 19, भारत का संविधान. पृ॰ 61 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
स्रोत ग्रंथ
संपादित करें- दुर्गा दास, बसु (2008). भारत का संविधान - एक परिचय. नागपुर: लेक्सिस नेक्सिस बटरवर्थ्स वाधवा नागपुर. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8038-560-5.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिस्रोत में इस लेख से संबंधित मूल पाठ उपलब्ध हो सकता है: |