अनुच्छेद 251 (भारत का संविधान)
अनुच्छेद 251 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 11 में शामिल है और संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के अधीन बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में व्याप्त असंगतियों का वर्णन करता है। अनुच्छेद 251 में कहा गया है कि राज्य, राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकता है भले ही अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के तहत यह शक्ति संसद को मिली हुई हो अर्थात् राज्य सूची के जिन विषयों पर केंद्र द्वारा कानून बनाया गया हो, उन विषयों पर राज्य भी कानून बना सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 249 और 250 में उल्लिखित प्रावधान किसी राज्य के विधान मंडल की शक्ति को सीमित नहीं करते हैं। इसके साथ ही अनुच्छेद 249 और अनुच्छेद 250 के आधार पर अगर संसद कोई कानून बनाता है और राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद द्वारा बनाई गई विधि के किसी उपबंध के विरुद्ध हो तो संसद द्वारा बनाई गई विधि प्रभावी होगी। भले ही संसद द्वारा इस तरह से बनाई गई विधि राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाई गई विधि से पहले या उसके बाद में पारित की गई हो।[1][2][3][4]
अनुच्छेद 251 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 11 |
विषय | संघ और राज्यों के संबंध |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 250 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 252 (भारत का संविधान) |
पृष्ठभूमि
संपादित करेंसंविधान सभा में मसौदा अनुच्छेद 251 पर 13 जून 1949 को चर्चा प्रारंभ हुई थी। इसमें कहा गया कि यदि संसद द्वारा बनाए गए कानून और राज्य विधान मंडल द्वारा बनाए गए कानून के बीच टकराव होता है तो संसद द्वारा बनाया गया कानून प्रबल होगा। जिसके बाद इस अनुच्छेद पर कोई ठोस बहस नहीं हुई और इसे अपना लिया गया।[1]
मूल पाठ
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[a]इस संविधान के अनुच्छेद 249 और 250 की कोई बात किसी राज्य के विधान मंडल की कोई विधि बनाने की शक्ति को, जिसे इस संविधान के अधीन बनाने की शक्ति उसे है, निर्बंधित न करेगी किन्तु यदि किसी राज्य के विधान मंडल द्वारा निर्मित विधि का कोई उपबंध, संसद द्वारा निर्मित विधि के, जिसे संसद उक्त दोनों में से किसी अनुच्छेद के अधीन बनाने की शक्ति रखती है, किसी उपबंध के विरुद्ध है तो, संसद द्वारा निर्मित विधि अभिभावी होगी चाहें वह राज्य के विधान मंडल द्वारा निर्मित विधि से पहिले या पीछे पारित हुई हो तथा राज्य के विधान मंडल द्वारा निर्मित विधि विरोध की मात्रा तक प्रवर्तन-शून्य होगी किन्तु तभी तक जब तक कि संसद द्वारा निर्मित विधि प्रभावी रहे।[5] |
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[b]Nothing in articles 249 and 250 shall restrict the power of the Legislature of a State to make any law which under this Constitution it has power to make, but if any provision of a law made by the Legislature of a State is repugnant to any provision of a law made by Parliament which Parliament has under either of the said articles power to make, the law made by Parliament, whether passed before or after the law made by the Legislature of the State, shall prevail, and the law made by the Legislature of the State shall to the extent of the repugnancy, but so long only as the law made by Parliament continues to have effect, be inoperative.[6] |
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सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "Inconsistency between laws made by Parliament under articles 249 and 250 and laws made by the Legislatures of States" [संसद द्वारा अनुच्छेद 249 और 250 के तहत बनाए गए कानूनों और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच असंगतता]. भारत का संविधान. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 251 in Constitution of India" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 251]. इंडियन कानून. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 251 Of The Indian Constitution" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 251]. blog.examarly.com. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ "Inconsistency between Laws Made by Parliament and State Legislatures: Article 251 of the Indian Constitution" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 251]. संविधान सरलीकृत. मूल से 21 अप्रैल 2024 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2024.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 93 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 93 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
टिप्पणी
संपादित करें- ↑ जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद 251 में "अनुच्छेद 249 और 250" शब्दों और अंकों के स्थान पर "अनुच्छेद 250" शब्द रख दिये जाएंगे, और "इस संविधान के अधीन" शब्द लुप्त कर दिये जाएंगे, और "उक्त दोनों में से किसी अनुच्छेद के अधीन" शब्दों के स्थान पर "उक्त अनुच्छेद के अधीन" शब्द रख दिये जाएंगे।
- ↑ In its application to the State of Jammu and Kashmir, in art. 251, for the words and figures "article 249 and 250" the words and figures "article 250" shall be substituted, and the words "under this Constitution" shall be omitted; and, for the words "under either of the said articles", the word "under the said article" shall be substituted.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिस्रोत में इस लेख से संबंधित मूल पाठ उपलब्ध है: |