अनुच्छेद 327 (भारत का संविधान)
अनुच्छेद 327 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 15 में शामिल है और विधान मंडल के लिए निर्वाचन संबंधी उपबंध करने की संसद की शक्ति का वर्णन करता है। अनुच्छेद 327 के अनुसार संसद समय-समय पर विधि के माध्यम से अपने प्रत्येक सदन, किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन, प्रत्येक सदन के लिए निर्वाचन संबंधित या उससे संबद्ध सभी विषय जैसे निर्वाचक नामावली तैयार कराना, निर्वाचन-क्षेत्रों का परिसीमन और ऐसे सदनों का सम्यक् गठन सुनिश्चित करना इत्यादि कार्यों का उपबंध कर सकेगी। हालाँकि ऐसे कार्य उसे संविधान के उपबंधों के अधीन रहकर करने होंगे। यह अनुच्छेद संसद को चुनाव से संबंधित मामलों पर कानून बनाने का व्यापक अधिकार भी देता है, इस अधिकार में मतदाता सूची (पात्र मतदाताओं की सूची), निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन (किसी क्षेत्र को चुनावी जिलों में विभाजित करने की प्रक्रिया) और इससे संबंधित अन्य मामलों की तैयारी शामिल है। संसद ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के तहत कई कानून भी बनाए हैं, जैसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन (संसद और विधानसभा) अधिनियम 2008 और चुनाव आयोग अधिनियम 1991।[1][2][3][4]
अनुच्छेद 327 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 15 |
विषय | निर्वाचन |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 326 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 328 (भारत का संविधान) |
पृष्ठभूमि
संपादित करेंसंविधान सभा में मसौदा अनुच्छेद 327 पर 16 जून 1949 को चर्चा की गई। इस अनुच्छेद ने संसद को विधानमंडलों के चुनाव और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के संबंध में प्रावधान करने की शक्ति प्रदान की। साथ ही मसौदा समिति के अध्यक्ष ने संसद की मतदाता सूची तैयार करने की शक्तियों को बदलने के लिए एक संशोधन पेश किया। संविधान सभा ने इस संशोधन को स्वीकार कर लिया और उसी दिन इस मसौदा अनुच्छेद को अपना लिया गया।[1]
मूल पाठ
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[a]इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद, समय समय पर विधि द्वारा संसद के प्रत्येक सदन अथवा किसी राज्य के विधानमंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिये निर्वाचनों से सम्बद्ध या संसक्त सब विषयों के संबंध में जिन के अन्तर्गत निर्वाचक नामावलियों का तैयार कराना तथा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन तथा ऐसे सदन या सदनों का सम्यक् गठन कराने के लिये अन्य सब आवश्यक विषय भी हैं, उपबंध कर सकेगी।[5] |
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[b]Subject to the provisions of this Constitution, Parliament may from time to time by law make prevision with respect to all matters relating to,or the House or either House of the Legislature of a State including the preparation of electoral rolls, the delimitation of constituencies and all other matters necessary for securing the due constitution of such House or Houses. [6] |
” |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "Article 327: Power of Parliament to make provision with respect to elections to Legislatures" [अनुच्छेद 327: विधानमंडलों के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति]. भारत का संविधान. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 327 in Constitution of India" [भारतीय संविधान में अनुच्छेद 327]. इंडियन कानून. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 327 of Indian Constitution: Power of Parliament to make provision with respect to elections to Legislatures" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 327: विधानमंडलों के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति]. संविधान सरलीकृत (मराठी में). मूल से 20 अप्रैल 2024 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2024.
- ↑ "Article 327 Of The Indian Constitution // Examarly" [भारतीय संविधान का अनुच्छेद 327]. blog.examarly.com. 10 जनवरी 2023. अभिगमन तिथि 20 अप्रैल 2024.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 122 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 122 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
टिप्पणी
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