अनुच्छेद 371 (भारत का संविधान)

अनुच्छेद 371 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 10 में शामिल है और जो विभिन्न राज्यों के लिए “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान” प्रदान करता है।[1]

पृष्ठभूमि

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धारा 371 भारतीय संविधान के अन्तर्गत विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लिए विशेष विनियमन और अधिकारों को प्रदान करती है। यह धारा विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और जनसंख्या संरचना को ध्यान में रखते हुए उन्हें विशेष अधिकार प्रदान करती है। इसका उपयोग अनेक राज्यों में अलग-अलग तरीके से किया जाता है, जैसे कि नागालैंड, मिज़ोरम, मेघालय और अन्य क्षेत्रों में। धारा 371 के तहत विशेष अधिकारों के लिए अनेक विनियमन और नियम होते हैं।[2]

धारा 371 भारतीय संविधान में कई अलग-अलग उपधाराओं द्वारा विभाजित होती है, जो विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लिए विशेष अधिकारों और विनियमन को स्थापित करती हैं। इन उपधाराओं में से कुछ उपधाराएँ निम्नलिखित हैं:

1. धारा 371(A): नागालैंड के लिए विशेष अधिकारों को स्थापित करता है, जो इस राज्य की स्थानीय सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।[3]

2. धारा 371(B): असम के लिए विशेष प्रावधानों को स्थापित करता है, जो इस राज्य की ऐतिहासिक संरचना और जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।[4]

3. धारा 371(C): मिज़ोरम के लिए विशेष विनियमन को स्थापित करता है, जो इस राज्य की जनसंख्या, संरचना और स्थानीय सांस्कृतिक पहचान को मान्यता देते हुए बनाए गए हैं।[5]

4. धारा 371(F): सिखिम के लिए विशेष विनियमन को स्थापित करता है, जो इस राज्य की स्थानीय संरचना, संस्कृति और राजनीतिक पहचान को मान्यता देते हुए बनाए गए हैं।

इन धाराओं के अलावा भी अन्य धाराएँ हैं जो विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लिए विशेष अधिकार और विनियमन स्थापित करती हैं। ये अधिकार और विनियमन उन राज्यों और क्षेत्रों के विकास और संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  1. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ # – वाया विकिस्रोत. [स्कैन  ]
  2. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ # – वाया विकिस्रोत. [स्कैन  ]

बाहरी कड़ियाँ

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