अनुच्छेद 39 (भारत का संविधान)
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39, राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का एक अहम हिस्सा है. इसका मकसद, देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना है. इस अनुच्छेद के ज़रिए, राज्य को न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के लिए नीतियां बनाने में मार्गदर्शन दिया जाता है.[1]
अनुच्छेद 39 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 4 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 38 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 40 (भारत का संविधान) |
अनुच्छेद 39 के तहत, राज्य को ये काम करने होते हैं:
- सभी नागरिकों को जीवन यापन के बुनियादी साधनों पर समान अधिकार देना.
- आर्थिक मॉडल को इस तरह से लागू करना कि उत्पादक साधनों और धन के संचय से सामान्य कल्याण को नुकसान न पहुंचे.
- समान प्रयास के लिए समान पारिश्रमिक देना.
- कर्मचारियों की ताकत और स्वास्थ्य का दुरुपयोग या हेरफेर न करना.
- बच्चों को स्वतंत्र, स्वस्थ, और सम्मानजनक तरीके से विकसित होने के लिए मौका देना.
- बच्चों और किशोरों को शोषण और नैतिक और आर्थिक परित्याग से बचाना.[2]
अनुच्छेद 39 का उद्देश्यइस लेख का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के लोगों या नागरिकों के पास जीवनयापन के पर्याप्त साधन हों, समान धन वितरण हो, उचित वेतन हो, तथा बाल एवं श्रम सुरक्षा हो। यह सब सुनिश्चित करने का दायित्व राज्य का है।
- ↑ "Article 39 of Indian Constitution: Directive Principles of State Policy". Testbook. 2024-09-16. अभिगमन तिथि 2024-10-10.
- ↑ "अनुच्छेद 39 क्या है ? What is Article 39 of the Constitution?". BYJUS. 2023-06-07. अभिगमन तिथि 2024-10-10.