अनुच्छेद 41 (भारत का संविधान)

अनुच्छेद 44 भारत के संविधान के भाग 4 का एक अनुच्छेद है। संविधान के अनुच्छेद 44 में लिखा गया है कि राज्य अपने नागरिकों के लिए भारत के पूरे क्षेत्र में एक समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास करेगा। इस अनुच्छेद का उद्देश्य कमजोर लोगों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों में समन्वय स्थापित करना है।

अनुच्छेद 41 (भारत का संविधान)  
मूल पुस्तक भारत का संविधान
लेखक भारतीय संविधान सभा
देश भारत
भाग भाग #
प्रकाशन तिथि 1949
पूर्ववर्ती अनुच्छेद 40 (भारत का संविधान)
उत्तरवर्ती अनुच्छेद 42 (भारत का संविधान)

अनुच्छेद 32, भारतीय संविधान का प्रारूप 1948

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राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर, काम करने, शिक्षा पाने और बेरोजगारी, बुढ़ापे, बीमारी, विकलांगता और अन्य अवांछनीय अभाव की स्थिति में सार्वजनिक सहायता पाने के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी प्रावधान करेगा।

अनुच्छेद 41, भारतीय संविधान 1950

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राज्य अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर, काम पाने, शिक्षा पाने और बेरोजगारी, बुढ़ापे, बीमारी और विकलांगता तथा अन्य अवांछनीय अभाव की स्थिति में सार्वजनिक सहायता पाने के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी प्रावधान करेगा।

पृष्ठभूमि

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23 नवंबर 1948 को मसौदा अनुच्छेद 32 (अनुच्छेद 41) पर बहस हुई । इसने राज्य को कुछ कमजोर समूहों के लिए पर्याप्त रोजगार और शैक्षिक अवसरों और सामाजिक सहायता के प्रावधान करने का निर्देश दिया।

एक सदस्य ने अन्य सामाजिक सुविधाओं में ' चिकित्सा राहत ' को शामिल करने के लिए संशोधन पेश किया । उन्होंने ' अवांछित अभाव ' को ' सुपात्र राहत ' में बदलने का भी आग्रह किया। एक अन्य सदस्य ने बताया कि चिकित्सा राहत का अधिकार पहले से ही मसौदा अनुच्छेद 38 ( अनुच्छेद 47 ) के तहत प्रदान किया गया है । इस मसौदा अनुच्छेद में इसे दोहराना अनावश्यक होगा।

सभा ने 23 नवम्बर 1948 को बिना किसी संशोधन के इस अनुच्छेद को अपना लिया ।

  1. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ # – वाया विकिस्रोत. [स्कैन  ]
  2. (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ # – वाया विकिस्रोत. [स्कैन  ]

बाहरी कड़ियाँ

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