अनुच्छेद 69 (भारत का संविधान)
अनुच्छेद 69 भारत के संविधान का एक अनुच्छेद है। यह संविधान के भाग 5 में शामिल है और उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान का वर्णन करता है।
अनुच्छेद 69 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 5 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 68 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 70 (भारत का संविधान) |
पृष्ठभूमि
संपादित करेंइस अनुच्छेद पर बहस नहीं हुई क्योंकि यह मसौदा संविधान 1948 का हिस्सा नहीं था । प्रारूप समिति ने इसे संविधान निर्माण के बाद के चरणों में सम्मिलित किया।
मूल पाठ
संपादित करें“ | प्रत्येक उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष निम्नलिखित प्ररूप में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा, अर्थात्: --
ईश्वर की शपथ लेता हूँ \"मैं, अमुक ---------------------------------कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूँ, श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूँगा।"
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” |
“ | Every Vice-President shall, before entering upon his office, make and subscribe before the President, or some person appointed in that behalf by him, an oath or affirmation in the following form, that is to say—
“I, A.B., do swear in the name of God/solemnly affirm that I will bear true faith and allegiance to the Constitution of India as by law established and that I will faithfully discharge the duty upon which I am about to enter.”. [2] |
” |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 27 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ # – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
टिप्पणी
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिस्रोत में इस लेख से संबंधित मूल पाठ उपलब्ध है: |