अनुपम मुखोपाध्याय
अनुपम मुखोपाध्याय (१७ फरबरि १९७९) (অনুপম মুখোপাধ্যায়) बांग्ला साहित्यके नव्योत्तर काल से जुडे जानेमाने एवम वितर्कित कवि और आलोचक हैं। उनका जन्म मिदनापुर जिलेके घाटाल गांवमें एक ब्राह्मण परिवार में हुया। सन २००० से वे नवोत्तरवादी समान्तराल साहित्य के भागीदार हैं और अल्प समय में अप्ना जगह बना लिया है। उनके लिखे जिन साहित्यिकों का आलोचना दृष्टि आकर्शन किया है वह हैं बाब डिलन, जार्ज लेनन, विलियम कारलस विलियमस, फ्रान्तस काफका, मलय रायचौधुरी, सुनील गंगोपाध्याय, जीवनानंद दास, सुकुमार राय, विनय मजुमदार, डबलु एच अडेन, समीर रायचौधुरी तथा बुद्धदेव बसु। उनका कविता जो कि नवोत्तरवादी या अधुनान्तिक है आलोचकों में चर्चा का विषय बना हुया है।
कृतियां
संपादित करें- रोद ओठार आगे (२००७)
- जार नाम अपराजित सेओ किन्तु नाम्करणे हेरे जाय (२००८)
- रुबरु (२००८)
- हायवे (२००९)
पुरस्कार
संपादित करें- शिक्षामित्र कविता पाक्षिक पुरस्कार (२००७)
सन्दर्भ
संपादित करें- समीर रायचौधुरी सम्पादित पोस्टमडर्न बेंगलि पोएट्रि (२००१)
- प्रभात चौधुरी रचित पोस्टमडार्न बांग्ला कविता (१९९९)
- मलय रायचौधुरी रचित दि डिपारचर ऑफ दि अराइवल (२००२)