अनुप्रयुक्त भौतिकी
भौतिकी और इंजीनियरिंग के बीच संबंध
भौतिकी के तकनीकी और व्यावहारिक अनुप्रयोगों से सम्बंधित विषयों के विज्ञान को अनुप्रयुक्त भौतिकी (अप्लायड फिजिक्स) कहते हैं। सैद्धांतिक भौतिकी और अनुप्रयुक्त भौतिकी के बीच की सीमाओं को किसी वैज्ञानिक की अभिप्रेरणा और अभिप्राय जैसे तत्त्वों से लेकर किसी अनुसन्धान के प्रोधयोगिकी और विज्ञान पर अंततः पड़ने वाले असर तक जा सकता है[1]। अभियाँत्रिकी से इसमें अन्तर केवल इतना है कि, जहाँ अभियाँत्रिकी में विद्यमान तकनीकों पर आधारित ठोस अंत परिणाम की अपेक्षा की जाती है, व्यावहारिक भौतिकी में नये तकनीकों पर, या विद्यमान तकनीकों पर, अनुसंधान होता है। काफी हद तक यह अनुप्रयुक्त गणित के समान है। भौतिक विज्ञानी भौतिकी के सिद्धांतों का प्रयोग सैद्धांतिक भौतिकी के विकास हेतु यंत्रों को बनाने के लिये भी करते हैं। इसका उदाहरण है त्वरक भौतिकी।
अनुसन्धान क्षेत्र और शाखाएँसंपादित करें
MRI Image
- त्वरक भौतिकी
- ध्वनिकी
- कृषि-भौतिकी
- प्राक्षेपिकी
- जैवभौतिकी
- अभिकलनात्मक भौतिकी
- संचार-भौतिकी
- आर्थिक-भौतिकी
- अभियंत्रिक-भौतिकी
- तंतु प्रकाशिकी
- द्रवगतिकी
- लेज़र भौतिकी
Experiment using a (likely argon) laser
Computer modeling of the Space Shuttle during re-entry
- परमाण्विक बल सूक्ष्मदर्शी यंत्र और प्रतिबिंबन
- भू-भौतिकी
- प्रमात्रा इलेक्ट्रानिकी
- चिकित्सा भौतिकी
- सूक्ष्मद्रविकी
- नैनोतकनीकी
- अविनाशी परीक्षण
- परमाणु अभियंत्रिकी
- परमाणु प्रौद्योगिकी
- प्रकाशिकी
- प्रकाशिक-इलेक्ट्रानिकी
- अनुरूप इलेक्ट्रानिकी
- अंकीय इलेक्ट्रानिकी
- प्रकाश वैद्युती
- प्लाज्मा भौतिकी
- अर्धचालक भौतिकी और यंत्र
- मिट्टी भौतिकी
- ठोस प्रावस्था भौतिकी
- अतिचालक
- अंतरिक्ष भौतिकी
- चुम्बकिय इलेक्ट्रानिकी
- वाहन गतिकी
सन्दर्भसंपादित करें
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 मार्च 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जनवरी 2008.