मनोध्वनिकी तथा ध्वनिकी में अनुरणन (reverberation) का अर्थ है ध्वनि उत्पन्न होने के बाद उसका बहुत देर तक बने रहना। अनुरणन तब उत्पन्न होता है जब ध्वनि अनेकानेक बार परावर्तित होने के कारण जुड़ती चली जाती है। अनुरणन के बाद ध्वनि विभिन्न वस्तुओं (दीवार, कुर्सी, मेज, लोग आदि) से अवशोषित होकर क्रमशः क्षीण हो जाती है। अनुरणन की परिघटना को उस समय आसानी से अनुभव किया जाता है जब ध्वनि उत्पन्न करने वाला स्रोत (जैसे स्पीकर) बन्द हो जाने के बाद भी ध्वनि बहुत देर तक बनी रहे अर्थात् तुरन्त समाप्त होने के बजाय धीरे-धीरे क्षीण होते हुए भी बहुत देर तक बनी रहती है।

विभिन्न परकार के अनुरणन :
लाल - सीधे पहुँची ध्वनि,
हरी - एक बार परावर्तित होने के बाद पहुँची ध्वनि,
नीली - अनेकों बार परावर्तन के बाद पहुँची ध्वनि

अनुरणन की क्रिया आवृत्ति पर भी निर्भर करती है। विशेष कक्षों की डिजाइन करते समय वांक्षित अनुरणन-समय की प्राप्ति के लिये कुछ चीजों पर विशेष ध्यान देना पड़ सकता है।

यदि अनुरणन की तुलना प्रतिध्वनि से करनी हो तो ध्यातव्य है कि प्रतिध्वनि को स्पष्ट रूप से सुनने के लिये कम से कम 50 मिलीसेकेण्ड से 100 मिलीसेकेण्ड का समयान्तराल होना आवश्यक है, किन्तु अनुरणन के लिये परावर्तित ध्वनि ५० मिलीसेकेण्ड के अन्दर ही पहुँच जानी चाहिए।

अनुरणन केवल कमरों के अन्दर ही नहीं होता बल्कि वनों में भी और अन्य स्थानों पर भी सम्भव है।

सैबाइन का समीकरण (Sabine equation) संपादित करें

यह समीकरण 1890 के दशक के अन्तिम काल में प्रस्तुत किया गया एक इम्पीरिकल सूत्र है। सैबाइन ने किसी कमरे के अनुरणन-समय RT60, इसके आयतन, तथा कमरे के कुल शोषण (absorption (in sabins) को निम्नलिखित समीकरण द्वारा प्रस्तुत किया-

 .

जहाँ   कमरे में ध्वनि का वेग है ( 20 डिग्री सेल्सियस पर),   कक्ष का आयतन (m³ में ) ,   कक्ष का सम्पूर्ण पृष्ठ (m² में),   कक्ष के पृष्टों का औसत अधिशोषण गुणांक (absorption coefficient) , तथा   कुल अधिशोषण ((sabins में) है।

सेबाइन ने यह निष्कर्ष निकाला कि अनुरणन-काल कक्ष के अन्दर स्थित विभिन्न तलों के परावर्तनीयता पर निर्भर करता है।

अनुरणनक-काल RT60 तथा कक्ष का आयतन V , का क्रान्तिक दूरी dc (conditional equation) के मान पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है:

 

जहाँ क्रांतिक दूरी   मीटर में, आयतन   m³ में, और अनुरणन-काल   सेकेण्ड में मापा जाता है।