अनूप सिंह (1638–1698) वर्ष 1669 से 1698 तक बीकानेर रियासत के शासक थे। अपने पिता की तरह वो भी मुग़ल सम्राठ औरंगज़ेब के जागीरदार रहे और दक्कन क्षेत्र में विभिन्न मुग़ल अभियानों में शामिल हुए। उन्होंने गोलकोण्डा सल्तनत को हराने के समय मुग़ल सेना का नेतृत्व कर रहे थे जिससे उन्हें महाराजा की उपाधि मिली।

अनूपसिंह
महाराजा
अनूपसिंह का वर्ष 1852 का एक चित्र
बीकानेर रियासत के शासक
शासनावधिल॰ 1669-1698
पूर्ववर्तीकरण सिंह
उत्तरवर्तीसरुप सिंह
जन्म1638
निधन1698
आदोनी
संतानसरुप सिंह, सुजान सिंह
पिताकरण सिंह

पूर्व जीवन

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अनूप सिंह अपने पूर्ववर्त्ती मुग़ल जागीरदार करण सिंह के पुत्र थे। करण सिंह के कार्यकाल के दौरान ही जुलाई 1667 को औरंगज़ेब ने करण सिंह के निधन के बाद अनूप सिंह को रियासत देने का निर्णय कर दिया था। वर्ष 1669 में दक्कन क्षेत्र में मुग़ल अभियान में औरंगाबाद में करण सिंह का निधन हो गया और अनूप सिंह बीकानेर के सिंहासन पर उनके उत्तराधिकारी बने।[1]

सैन्य वृत्ति

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अनूप सिंह एक अनुपस्थित शासक थे, और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन मुगल दरबार में या बीकानेर से दूर मुगल अभियानों में बिताया। उन्होंने मुगल सेनापति महाबत खान के अधीनस्थ के रूप में मराठा राजा शिवाजी के खिलाफ मुगल अभियान में भाग लिया।[1] औरंगजेब के सेनापति के रूप में, अनूप सिंह ने 1680 और 1690 के दशक के दौरान दक्कन क्षेत्र में कई अभियानों का नेतृत्व किया। 1687 में, उन्होंने गोलकुंडा सल्तनत पर कब्ज़ा करने के लिए मुग़ल सेना का नेतृत्व किया, जिसके लिए औरंगज़ेब ने उन्हें महाराजा की उपाधि दी।[3] औरंगजेब ने उन्हें माही मरातिब का शाही सम्मान भी दिया और उनका मनसबदार पद पहले 3500 और फिर 5000 तक बढ़ाया।[1]

1680 के दशक के मध्य में मुगल सेना द्वारा बीजापुर सल्तनत पर कब्ज़ा करने के बाद, अदोनी के बीजापुरी गवर्नर सिद्दी मसूद ने अदोनी क्षेत्र पर स्वतंत्र रूप से शासन किया। 1689 में अनूप सिंह के नेतृत्व में मुगल सेना ने अदोनी पर कब्जा कर लिया और औरंगजेब ने उसे अदोनी का गवर्नर नियुक्त किया। अनूप सिंह 1698 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहे।[2] बेल्लारी को भी उनके प्रभार में रखा गया।[1]

  1. रिमा हूजा (2006). A History of Rajasthan [राजस्थान का इतिहास] (अंग्रेज़ी में). रूपा. पपृ॰ 606–607. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788129108906.