अन्नपूर्णा महाराणा

ओडिया स्वतंत्रता सेनानी

अन्नपूर्णा महाराणा (3 नवंबर 1917 - 31 दिसंबर 2012), भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी थी। इसके अलावा वह एक प्रमुख सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता भी थीं।[1] अन्नपूर्णा, महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थी।[2]

अन्नपूर्णा महाराणा
चित्र:Annapurna Maharana died 2012.jpeg
जन्म 03 नवम्बर 1917
ओडिसा, भारत
मौत 31 दिसम्बर 2012(2012-12-31) (उम्र 95)
कटक, ओडिसा, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
प्रसिद्धि का कारण स्वतंत्रता सेनानी, Sसामाजिक कार्यकर्ता
जीवनसाथी शरत चंद्र महाराणा
बच्चे कर्मदेव महाराणा, ज्ञानदेव महाराणा
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जीवनकाल संपादित करें

अन्नपूर्णा महाराणा का जन्म 3 नवंबर 1917 को ओडिशा में राम देवी और गोपाबंधू चौधरी के दूसरे बच्चे के रूप में हुआ था।[1][3] उनके दोनों माता-पिता भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे।[1] इन्होंने चौदह वर्ष की उम्र से ही स्वतंत्रता के लिए सक्रिय रूप से प्रचार करना शुरू किया, और महात्मा गांधी की समर्थक बन गई। 1934 में, वह महात्मा गांधी के पुरी से भद्रक तक के "हरिजन पड़ा यात्रा" रैली में ओडिशा से जुड़ गईं। अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा अभियान के दौरान सहित महाराणा को कई बार गिरफ्तार किया गया था।[1]

स्वतंत्रता के बाद, महाराणा ने भारत में महिलाओं और बच्चों की ओर से आवाज बनी। उन्होंने क्षेत्र की जनजातीय आबादी के बच्चों के लिए ओडिशा के रायगडा जिले में एक स्कूल खोला। महाराणा, विनोबा भावे द्वारा शुरू किया गये भूदान आन्दोलन, या भूमि उपहार आंदोलन का भी हिस्सा बनी। उन्होंने चंबल घाटी के सक्रिय डकैतो को मुख्य धारा में लौटने के लिए अभियान चलाया।[2]

आपातकाल के दौरान उन्होंने रामदेवी चौधरी के ग्राम सेवा प्रेस द्वारा प्रकाशित अख़बार की मदद से विरोध जताया। सरकार द्वारा समाचार पत्र पर प्रतिबंध लगा कर रामदेवी चौधरी और उड़ीसा के अन्य नेताओं जैसे नाबक्रुश्ना चौधरी, हरिकेष्णा महाबत, मनमोहन चौधरी, जयकृष्ण मोहंती और अन्य के साथ उन्हें गिरफ्तार किया गया था।[4]


ओडिशा के केंद्रीय विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त 2012 को अपने कटक घर में आयोजित एक समारोह में महाराणा को ऑनोरिस कौसा (मानद उपाधि) से सम्मानित किया।[5]

31 दिसंबर 2012 को, 96 वर्ष की उम्र में बखराबाद, कटक, ओडिशा के अपने घर पर लंबी बीमारियों जुझने के बाद उनकी मृत्यु हो गई। । 2 जनवरी 2012 को कटक के खन्नागर श्मशान में उन्हें सम्मान के साथ उनका दाह-संस्कार किया गया।[2]

ओडिशा के राज्यपाल मुरलीधर चंद्रकांत भंडारी और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उनकी मृत्यु को भारत और ओडिशा की "अपूरणीय हानि" के रूप में वर्णित किया था।[1]


सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Noted freedom fighter Annapurna Maharana dies". Press Trust of India. Business Standard. 2013-01-01. अभिगमन तिथि 2013-01-07.
  2. "Annapurna Maharana cremated". Times of India. 2013-01-03. मूल से 20 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-01-07.
  3. "Odisha: Freedom fighter Annapurna Maharana passed away". Orissa Diary. 31 दिसंबर 2012. मूल से 13 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जनवरी 2013.
  4. Orissa: the dazzle from within (art, craft and culture of ...by G. K. Ghosh - 1993 - - Page 37
  5. "Central University Odisha confers Honoris Causa to Annapurna Moharana". Odisha Diary. 2012-08-19. मूल से 11 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2013-01-07.