यह एक प्रमुख भारतीय चित्रकला शैली हैं। यह पश्चिम भारत में विकसित लघु चित्रों की चित्रकला शैली थी, जो ११वीं से १५वीं शताब्दी के बीच प्रारम्भ में ताड़ पत्रों पर और बाद में कागज़ पर चित्रित हुई इस शैली को जैन गुजराती तथा पश्चमी शैली आदि नामों से भी जाना जाता है।