अपराजिता

पौधे की प्रजाति

अपराजिता (वानस्पतिक नाम:Clitoria ternatea) एक खरपतवार है।

अपराजिता
बीज

अपराजिता लता वाला पौधा है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं - नीले और सफेद।

बंगाल या पानी वाले इलाकों में अपराजिता एक बेल की शक्ल में पायी जाती है। इसका पत्ता आगे से चौडा और पीछे से सिकुडा रहता है। इसके अन्दर आने वाले पुष्प भी शंकु आकार के होते हैं। इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेषरूप में किया जाता है। जहां काली का स्थान बनाया जाता है वहां पर इसकी बेल को जरूर लगाया जाता है। गर्मी के कुछ समय के अलावा हर समय इसकी बेल फूलों से सुसज्जित रहती है।

अपराजिता के औषधीय गुण

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स्त्रियों के रोग में तो यह अपराजिता एक रामबाण की तरह काम करती है मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लडिंग की समस्या हो तो अपराजिता के पत्तों का ताजा रस निकाले और 10 ml की मात्रा में साथ में 10 ग्राम मिश्री पाउडर मिलाकर पिला दे तुरंत ही आराम हो जाता है यह दिव्य जड़ीबूटी गर्भ स्थापक गुण वाली होती है स्त्रियों में अगर किसी कारण से गर्भ ना ठहरता हो तो इस सफेद अपराजिता के 5 ग्राम छाल तथा पत्तों को बकरी के दूध के साथ पीसकर तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर पिलाने से गिरता हुआ गर्भ भी ठहर जाता है।इसके अतिरिक्त दूसरे प्रयोग की हम बात करें तो सफेद अपराजिता की झड़ 1 ग्राम शुद्ध पानी से धोकर बकरी के दूध के साथ पीस छानकर थोड़ा सा शहद मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार पिलाते रहे इससे भी गिरता हुआ गर्भ ठहर जाता ता है इस बूटी की लता को कमर में बांधने से ही तीसरे दिन में आने वाला ज्वर छूट जाता है कभी-कभी स्त्रियों में प्रसव के दौरान देरी होती है और पीड़ा भी अधिक होती है तो ऐसे में अपराजिता की बेल को लाए और स्त्री की कमर में बांध दे लपेट दे इससे प्रसव जल्दी हो जाता है और पीड़ा भी दूर हो जाती है लेकिन प्रसव होने के तुरंत बाद कमर में बंधी हुई बेल को हटा देना चाहिए.[1]

बाहरी कड़ियाँ

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  1. "aprajita jadibuti ke chamatkari fayde". Vijay jepar. अभिगमन तिथि 2025-01-17.