अपाम नपात
प्राचीन हिन्दू धर्म के एक देवता हैं जिनका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
अपाम नपात प्राचीन हिन्दू धर्म के एक देवता हैं जिनका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। वे नदियों, झीलों व अन्य स्वच्छ पानी के अधिदेवता हैं। भारतीय के इन प्राचीन देव की मान्यता प्राचीन ईरान के ज़रथुष्टी धर्म में भी है। संस्कृत व अवस्ताई भाषा दोनों में इनके नाम का अर्थ 'जल का पौत्र (पोता)' निकलता है। पारसी धार्मिक ग्रन्थ अवेस्ता में इनका ज़िक्र १९वे यश्त में आता है जिसमें इन्हें मानवों का कृतिकर्ता बताया गया है।[1][2][3]
बाहरी जोड़
संपादित करें- अपाम नपात, दीर्घात्माएँ और ईन्ट की वेदियों का निर्माण; ऋग्वेद १:१४३ का अध्ययन (अंग्रज़ी में), लैज़लो फोरिज़ के वेबपृष्ठ पर
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ ऋग्वेद भाष्यम: संस्कृतार्यभाषाभ्याम समन्वितम, स्वामी ब्रह्म मुनि, स्वामी दयानंद सरस्वती, वैदिक पुस्तकालय, १९७५, ... उन्हे बरसाने, थमाने और पुन: गिराने वाला होने से वरुण होता है (अपाम-नपात-भूद:) आकाश में जलसंग्रह को न गिराने वाला - थामने वाला या वहाँ से मेघ में विद्युद्रूप से प्रकट होने वाला - विद्युद्रूप अग्नि होता है।..
- ↑ Soma: The Divine Hallucinogen, David L. Spess, pp. 49, Inner Traditions / Bear & Co, 2000, ISBN 9780892817313, ... In Zoroastrian literature, the deity Apam-napat is the primal waters of creation, waters also found in the Rg Veda and associated with the celestial waters where Varuna resides ...
- ↑ वेदव्याख्या-ग्रंथ: प्रथम भाग: यजुर्वेद व्याख्या, आध्याय १-१०, स्वामी विद्यानंद, १९७७, ... देवीः आपः अपां नपात् यः वः ऊर्मिः हविष्यः इन्द्रिय-वान् मदिन्-तमः। तं देवेभ्यः देव-त्रा द्त्त शुक्र-पेम्यः येषां भागः स्थ स्वाहा ॥ ...