बुल्गारिया में ओटोमन साम्राज्य की निरंकुश और अराजक प्रवृत्तियों के खिलाफ स्थानीय नागरिकों द्वारा अप्रेल - मई १८७६ में किए गए विद्रोह को दुनिया ' अप्रेल विद्रोह ' के नाम से जानती है। बुल्गारियाई विद्रोहों की शृंखला में यह आखिरी व सबसे बड़ा विद्रोह था, जिससे आगे चलकर वर्ष १८७८ में बुल्गारिया के स्वायत्त राष्ट्र बनने की राह प्रशस्त हुई। इसकी पृष्ठभूमि नवम्बर १८७५ में रोमन शहर ग्युरग्यु में तैयार की गई, जहाँ बुल्गारियाई केन्द्रीय क्रांतिकारी समिति के सदस्यों ने एक बैठक के दौरान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए विद्रोही आन्दोलन शुरू करने पर सहमति जताई | विद्रोह के लिए देश के पांच प्रमुख शहरों व्रात्सा, वेलिको तारनोवो, स्लिवेन, प्लोवदिव और सोफिया को चुना गया। अप्रेल के आखिरी हफ्ते में इस विद्रोह की शुरुआत होते ही ओटोमन की सेना ने विद्रोहियों का बर्बरतापूर्वक दमन करना शुरू कर दिया। मई के मध्य तक आते - आते इस विद्रोह को पूरी तरह दबा दिया गया। यह विद्रोह जल्द ही ख़त्म जरुर हो गया, लेकिन इसकी गूँज यूरोप और अमेरिका में भी सुनाई दी, जहां अनेक बुद्धिजीवियों ने बुल्गारिया की उत्पीडित आबादी के प्रति पूर्ण समर्थन जताते हुए ओटोमन की निरंकुश शैली की घोर निंदा की।

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