अफ़ज़ल अहसन रंधावा
अफज़ल अहसन रंधावा एक पाकिस्तानी पंजाबी लेखक है जिसने दोआबा और सूरज ग्रहण जैसे नावल रचे।[1] 1986 में इसे प्रो. प्यारा सिंह गिल और "करम सिंह संधु मेमोरियल अंतर्राष्ट्रीय श्रोमणी साहित्यकार/कलाकार" पुरस्कार से सन्मानित किया गया।[2]
जीवन
संपादित करेंअफज़ल का जन्म 1 सतम्बर, 1937[3] को हुसैनपुरा,[4] अमृतसर (भारतीय पंजाब) में हुआ। इसका असली नाम "मुहम्मद अफज़ल" है और "अफ़ज़ल अहसन रंधावा" इसका कलमी नाम है। इसका पुश्तैनी गांव किआमपुर, जिला सियालकोट (पाकिस्तानी पंजाब) है।19 सतम्बर 2017 को उनका निधन हो गया।
शिक्षा
संपादित करेंरंधावा ने अपनी शुरुआती शिक्षा लाहोर से प्राप्त की। इसके बाद इसने "मिशन हाई स्कूल नारोवाल" से दसवीं की परीक्षा पास की और इसके पश्चात् रंधावा ने "मर्रे काॅलेज सियालकोट" से ग्रेजुएशन करके, पंजाब युनिवर्सिटी, लाहोर से कानूनी डिग्री प्राप्त की।
रचनाएँ
संपादित करेंनावल
संपादित करेंकहानी संग्रह
संपादित करेंकाव्य संग्रह
संपादित करें- "शीशा इक लश्कारे दो" (1965)
- "रत दे चार सफ़र" (1975)
- "पंजाब दी वार" (1979)
- "मिट्टी दी महक" (1983)
- "प्याली विच आसमान" (1983)
- "छेवां दरिया" (1997)
नाटक
संपादित करें- "सप, शिहं अते फ़कीर"
अनुवाद
संपादित करें- "टूट-भज्ज" (अफ़्रीकी नावल)
- "तारीख नाल इन्टरव्यू (यूनानी)
- "काला पैंडा" (19 अफ़्रीकी मुल्कों की 82 कविताएँ और अमरीका के 19 काले कविओं की चुनिन्दा कविताएँ)
- "पहलां दस्सी गई मौत दा रोज़नामचा" (हिसपान्वी नावल)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ http://openlibrary.org/a/OL4416595A/Afzal-Ahsan-Randhawa
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अगस्त 2015.
- ↑ ਜਤਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਜੌਲੀ, ਜਗਜੀਤ ਕੌਰ ਜੌਲੀ (2006). ਸੁਫ਼ਨੇ ਲੀਰੋ ਲੀਰ. ਨਾਨਕ ਸਿੰਘ ਪੁਸਤਕ ਮਾਲਾ. पृ॰ 45.
- ↑ http://faisalabad.lokpunjab.org/pages/469[मृत कड़ियाँ]