अबू जहल

इस्लाम विरोधी कुरैशी सरदार

अम्र इब्न हिशाम अल-मख़ज़ुमी (570 - 13 मार्च 624), (अंग्रेज़ी:Amr ibn Hisham ) जिसे अबू जहल (अज्ञानता का पिता) के नाम से अधिक जाना जाता है। कुरैश के मक्का के बहुदेववादी बुतपरस्त नेताओं में से भी एक थे, जो इस्लाम और मुहम्मद के कट्टर-दुश्मनों में से एक थे और शुरुआती मुसलमानों के विरोध के ध्वजवाहक थे। के प्रति अपने विरोध के लिए जाने जाते थे। बद्र की लड़ाई में मुसलमानों से लड़ते हुए सहाबी अब्दुल्लाह बिन मसऊद द्वारा मारे गए थे। [1][2]

वर्तमान में आज पाकिस्तान ओर भारत में जो राजड़ समाज है वो अबू जहल के बेटे हजरते अकर्मा रदी.अन्ना की ओलाद है।


वर्तमान राजस्थान के डेरासर रिछोली में यह राजड़ समाज ज्यादा है

अबू जहल से संबंधित कुरआन की आयतें संपादित करें

अब्दुल्लाह बिन अब्बास का कहना है कि अबू जहल के बारे में कुरआन की 84 आयतें सामने आईं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर