अभिजित भारतीय ज्योतिष में वर्णित एक नक्षत्र है। वर्तमान खगोलशास्त्र में वेगा नामक तारे को अभिजित की संज्ञा दी जाती है।

तैत्तिरीय संहिता और अथर्ववेद में २८ नक्षत्रों का ज़िक्र है जिनमें अभिजित भी एक है।[1] भचक्र में इसे सबसे अधोवर्ती नक्षत्र माना गया है।[2][3]२७ नक्षत्रों के वर्गीकरण में इसे उत्तराषाढ़ और श्रवण नक्षत्रों के बीच प्रक्षेपित किया जाता है।

मुहूर्त के रूप में इसे दोपहर बारह बजे, दो घडी के लिए प्रतिदिन, माना जाता है। श्री राम का जन्म इसी मुहूर्त में हुआ माना जाता है।[4]

  1. गुणाकर मुले (1 सितम्बर 2003). आकाश दर्शन. राजकमल प्रकाशन. पपृ॰ 54–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-267-0565-8.
  2. Gaṇitānuyoga: Jaina Āgamamata bhūgola-khagola evaṃ antariksha sambandhī sāmagrī kā vishayakrama se prāmāṇika saṅkalana. Āgama Anuyoga Ṭrasṭa. 1986. पपृ॰ 1965-.
  3. तत्त्वार्थवार्तिक. भारतीय ज्ञानपीठ. पपृ॰ 426–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-263-1603-8.
  4. दीवान रामचन्द्र कपूर (1 जनवरी 2007). लघुपाराशरी भाष्य:कालचक्र दर्शन सहित. मोतीलाल बनारसीदास. पपृ॰ 44–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-2138-5.