अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे

अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे (अंग्रेज़ी: College of Engineering, Pune; संक्षेप : सी.ओ.ई.पी.) यह भारत के पुणे शहर में स्थित एक अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। इसे सन १८५४ में स्थापन किया गया था। अभियांत्रिकी महाविद्यालय, गिंडी (१७९४) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के बाद, यह भारत और एशिया का तीसरा सबसे पुराना अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। यहाँ के छात्रों और पूर्व छात्रों को अनौपचारिक भाषा में सी.ओ.ई.पी.यन‌ (COEPian) कहा जाता है। यहाँ की प्रसिद्ध शिक्षाप्रणाली सन १९५० तक "पूना मॉडेल" के नाम से जानी जाने लगी थी।

अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे
College of Engineering, Pune
COEP
चित्र:College of Engineering, Pune logo.jpg
पूर्व नाम
Poona Engineering and Mechanical School (1854 - 1864)
Poona Civil Engineering College
Poona College of Science
Government College of Engineering, Poona
Dagdi College
ध्येयStrength Truth Endurance Ethics Reverence
प्रकारसार्वजनिक
स्थापित1854
सभापतिविजय भटकर[1]
निदेशकडृ बी बी अहूजा
शैक्षिक कर्मचारी
20[1]
प्रशासनिक कर्मचारी
400
छात्र3,800
स्नातक2,800[1]
परास्नातक1000
स्थानWellesly Road
Shivajinagar
Pune 411 005
, Shivajinagar, Pune, Maharashtra, India
परिसरUrban, 36.81 acres (currently under demarcation for development purpose)
जालस्थलwww.coep.org.in

मुला और मुठा इन दो नदियों के संगम पर सी.ओ.ई.पी. स्थित है।

 
इंजीनियरिंग महाविद्यालय, पुणे का मुख्य भवन जिसमें प्रशासनिक कार्य होते हैं।

भारतीय उपखंड की तकनीकी आवश्यकता पूर्ण करने के लिए १८५४ साल में अंग्रेजाे ने 'Poona Engineering Class and Mechanical School' इस नाम से यह अभियांत्रिकी महाविद्यालय चालू किया। उस समय भारत में इमारत, पूल, बाँध, रेल इत्यादी सार्वजनिक स्थानों को बनाने के लिए स्थानिक अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर कुशल करना यह इस महाविद्यालय का प्रमुख कार्य था। बाद में कुछ समय के लिए महाविद्यालय का नाम 'Poona Civil Engineering Colleg'किया गया। अंत में इ.स. १९११ साल[2] में महाविद्यालय का 'College of Engineering, Poona' यह नामकरण किया गया[3]

शुरू में, मुंबई विश्वविद्यालय से संलग्न था तब, यहाँ के विद्यार्थियों को 'Licentiate in Civil Engineering' (LCE) यह प्रमाणपत्र मिलते थे। बाद में यह प्रमाणपत्र अभ्यासक्रम पदवी में बदला गया और इ.स. १९१२ साल में पहिली 'Bachelor of Engineering' (B.E.) का प्रभाग बाहर पडा। उस समय यह अभ्यासक्रम ३ वर्ष का था। इ.स. १९६७-इ.स. १९६८ की कालावधी में यह अभ्यासक्रम ४ वर्ष का छमाही स्वरूप के अभ्यासक्रम में बदला गया।

महाविद्यालय में फिलहाल अभियांत्रिकी के नीचे शाखा में बी.टेक. (बॅचलर ऑफ टेक्नॉलॉजी) यह पदवी मिलती है। स्वायत्तता मिलने के पहले बी.ई. (बॅचलर ऑफ इंजिनिअरिंग) यह पदवी मिलती थी। (शाखा के नाम के सामने कोष्टक में वह शाखा जिस साल शुरू करने आई वह साल निम्नलिखित है)

  • स्थापत्य अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १८६६)
  • यंत्र अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९१४)
  • विद्युत अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९३२)
  • धातुशास्त्र अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९४८)
  • विद्युत संचरण और दूरसंचार अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९५६)
  • उपकरणीकरण अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९६५)
  • उपयोजित विज्ञान विभाग (इ.स. 1990)

यहाँ रसायनशास्त्र, पर्यावरणशास्त्र, उपयोजित जीवशास्त्र, उपयोजित मानसशास्त्र, नीतिशास्त्र, इंग्रजी, संवाद कौशल्य इन विषयाें का अध्यापन किया जाता है।

विभागों के प्राध्यापक

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डॉ. जयंत खेर डॉ. मनिषा खलदकर डॉ. महेश शिंदीकर संगणक अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९९२) उत्पादन अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. १९९५) माहिती तंत्रज्ञान अभियांत्रिकी विभाग (इ.स. २००१)

वादविवाद मंडल

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सी. ओ . ई .पी . वादविवाद मंडल पुणे के प्रतिष्ठीत वाद मंडल में से एक है। इस मंडल के दो विभाग है- अंग्रेज़ी विभाग और मराठी विभाग। मंडल के सभासद का चुनाव शैक्षणिक वर्ष के शुरुवाती चुनाव प्रक्रियेमार्फत होता है। राष्ट्रीय और राज्यस्तरावरील विविध प्रतियोगिता में नाम कमाने वाले वक्ते इस मंडल ने महाराष्ट्र को दिए हैं। विविध प्रतियोगिता में भाग लेने के व्यतिरिक्त इस मंडल तर्फे विविध कार्यक्रम के आयोजन किए जाते हैं। वार्षिक 'सर विश्वेश्वरय्या स्मृती चषक राज्यस्तरीय, भाषण, वादविवाद और PPT प्रस्तुतिकरण प्रतियोगिता' वादविवाद मंडल तर्फे आयोजित की जाती है। यह प्रतियोगिता २००१ साल से आयोजित की जाती है। यह महाराष्ट्र की एक प्रतिष्ठित प्रतियोगिता मानी जाती है। इसके साथ ही महाविद्यालया में 'संवाद तरुणाईशी', 'शब्द', 'सीओईपीवर बोलू काही' ऐसे विविधांगी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

पुणे के इस अभियांत्रिकी महाविद्यालय का इ.स.१९२८ से चल रहा एक बोट क्लब है। १२० से अधिक बोट इस बोट क्लब में है। मल्हार या पॅडल मारकर चलाने के लिए कायक, कनू, सिंगल स्कल, डबल स्कल, शेल पेअर, शेल फोर, पंट, एटर(आठ लोगों की होडी) आदि बोटी उपयोग में है। राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में महविद्यालय का सहभाग होता है। हर साल, CoEP का बोट क्लब द्वारे रेगाटा, यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

मुक्तस्रोत गट

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यहाँ के छात्रों ने CoEP's Free Software Users Group (CoFSUG) शुरू किया है । इसका उद्देश्य मुक्तस्रोत सॉफ्टवेयर का प्रचार करना है। यह एक Google गट है और यह सब के लिए उपलब्ध है।

महाविद्यालय की मानसून इमारत यह पुणे की एक विरासत स्थल के रूप में पहचानी जाती है। इमारत की स्थापत्यशैली किसी भी पारंपारिक शैली को लेकर नहीं है उसे पर थोडा व्हिक्टोरीयन प्रभाव दिखाई दे रहा है फिर भी उसकी शैली यह कायम स्वतंत्र मानी गई है।

इन्हें भी देखें

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  1. Mandatory, Disclosure. "Annexure A" (PDF). 40th Meeting of Board of Governors of COEP. College of Engineering, Pune. मूल (PDF) से 27 अक्तूबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 March 2019.
  2. Ṭikekara, A.; Bombay, University of; Mumbai, University of (2006). The Cloister's Pale: A Biography of the University of Mumbai (अंग्रेजी भाषा में). Popular Prakashan. पृ॰ 325. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7991-293-5. मूल से 9 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २४ मार्च २०२०.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  3. Christensen, S.H.; Didier, C.; Jamison, A.; Meganck, M.; Mitcham, C.; Newberry, B. (२०१५). International Perspectives on Engineering Education: Engineering Education and Practice in Context. Philosophy of Engineering and Technology (अंग्रेजी भाषा में). Springer International Publishing. पृ॰ १०८. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-319-16169-3. अभिगमन तिथि २४ मार्च २०२०.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)