अभिराज राजेन्द्र मिश्र
अभिराज राजेन्द्र मिश्र (02 जन्म 1943, द्रओणिपुर नामक गांव जौन्पुर उत्तर प्रदेश) [संस्कृत]] कवि, गीतकार, नाटककार हैं। वे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के उपकुलपति भी रह चुके हैं।[1][2] उन्हें १९८८ में संस्कृत में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे 'त्रिवेणी-कवि' नाम से जाने जाते हैं। उन्होने संस्कृत, हिन्दी, भोजपुरी और अंग्रेजी में अनेक पुस्तकों की रचना की है।
कृतियाँ
संपादित करेंप्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र के सृजन कर्म की एक लम्बी सूची है जिसमें उनके दो महाकाव्य, 44 शतक-काव्य, 64 एकांकी, 6 लघुकथा संकलनों में अनेकों कथायें, गज़ल, गीत समाहित हैं। उनकी रसगर्भित काव्यशैली, शृंगार के विरह व पीड़ा के गीत, गज़ले, सहृदयों के हृदय का हार है, उस पर उनकी मन्त्रमुग्ध कर देने वाली मधुर वाणी कवि सम्मेलनों व गोष्ठियों का प्राण है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ शर्मा, सुशील (फ़रवरी 2011). "गीतरामायणप्रशस्तिः" [गीतरामायण की पूजा]. श्रीतुलसीपीठा सौरभ. ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत: श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास. 14 (9): 14.
- ↑ मेहर, डॉ॰ हरेकृष्णा (7 मई 2008), Concept of Gīti and Mātrigītikāñjali Kāvya/Prof. Abhiraja Rajendra Mishra [गीति और मात्रिगीतिकाण्जली काव्य की अवधारणा/प्रो॰ अभिराजा राजेन्द्र मिश्र] (अंग्रेज़ी में)