अम्लीय वर्षा

वर्षा जो आमतौर पर अम्लीय होती है

अम्लीय वर्षा (Acid rain), प्राकृतिक रूप से ही अम्लीय होती है। इसका कारण यह है कि पॄथ्वी के वायुमंडल में सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जल के साथ क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल और गंधक का तेजाब बन जाता है। अम्लवर्षा में अम्ल दो प्रकार के वायु प्रदूषणों से आते हैं : SO2 और NO2, ये प्रदूषक प्रारंभिक रूप से कारखानों की चिमनियों, बसों व स्वचालित वाहनों के जलाने से उत्सर्जित होकर वायुमंडल में मिल जाते हैं। अमल वर्षा केंद्र मानचेस्टर है।[1] वर्षा के जल का pH मान जब 5.6 से कम हो जाता है तो वह अम्लीय वर्षा कहलाती है। अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल का pH मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जीवधारियों का रहा कठिन हो जाता है।

अम्लीय वर्षा

दुष्परिणाम

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अम्लवर्षा के कारण जलीय प्राणियों की मृत्यृ खेंतो और पेड़-पौधों की वृद्धि में गिरावट, तांबा और सीसा जैसे घातक तत्वों का पानी में मिल जाना, ये सभी दुष्परिणाम देखे जा सकते हैं। जर्मनी व पश्चिम यूरोप में जंगलो के नष्ट होने का कारण भी अम्लवर्षा ही है। मनुष्यों पर भी इसका परिणाम गंभीर होता है। अम्लीय वर्षा के कारण आगरा का ताजमहल पीला पड़ रहा है

अम्लीय वर्षा के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित है

  1. अम्ल पदार्थो तथा संरचनाओं को दुर्बल बना देते हैं,जिससे मार्बल लाइमस्टोन सैंडस्टोन आदि से निर्मित बिल्डिंग का डैमेज होने लगता है।
  2. अम्लीय बर्षा के कारण मृदा की अम्लीयता बढ़ जाती है जिसका मानव तथा जलीय जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा कृषि उत्पादकता भी कम हो जाती है।
  3. अम्लीयता सॉइल माइक्रोबियल फौना तथा नाइट्रोजन फिक्सेशन को भी प्रभावित करती है मृदा रसायन में परिवर्तन होने से उत्पादकता कम हो जाती है।
  4. अम्लीय वर्ष के कारण स्टाइल जिंक ऑईल बेस्ट पेंट्स तथा ऑटोमोबाइल कोटिंग्स आदि संछारण होने लगता है।

नियंत्रण

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अम्लीय वर्षा का नियंत्रण निम्नलिखित है

  1. जलाशयो तथा कृषि भूमि को पिरिओड़िकली लाइम्ड करना चाहिये,जिससे अम्लीय वर्षा के दौरान अम्लीयता उदासीन हो जाती है।
  2. वायु मंडल में सल्फर डाईऑक्साइड गैस की मात्रा को कम करने के लिए ऐसे ईंधनों का उपयोग करना चाहिए जिनमें सल्फर अनुपस्थित हो।
  3. कोल बर्निंग के दौरान उत्सर्जित. SO₂ को रियूज़ करने के लिए स्करबर्स का उपयोग करना चाहिए।
  4. अम्लीय वर्षा तथा अन्य पर्यावरणीय प्रदूषण के प्रति पब्लिक को जागरूक रहना चाहिए।

इस समस्या का समाधान एक ही प्रकार से संभव है। इसके लिये घातक वायु और पदार्थ के स्रोत जहाँ से ये प्रदूषक उत्पन्न हो रहे हैं, उनकों वहीं पर नियंत्रित करना और वे सभी व्यक्ति और संस्थाएं जो इस विषय पर कार्यरत है उन्हें सारी जानकारी देना है।

बाहरी कड़ियाँ

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