अरण्य संस्कृति मूलतः भारत के आदिवासियों की संस्कृति थी [1] , इस संस्कृति में पेड़ - पोधो और जीवो को भगवान माना जाता है , आदिवासी संस्कृति प्रकृति से जुड़ी हुई है ।11000 अरण्य संस्कृति का विकासक्रम सिंधु घाटी सभ्यता के समय चल रहा था ।

  • भगवान शिव मूलतः आदिवासियों की अरण्य संस्कृति से संबंधित थे , सिंधु घाटी सभ्यता से भगवान शिव से जुड़े शाक्ष प्राप्त हुए , भगवान शिव का एक रूप भील किरात का रहा है । खुद भील खुद को भगवान शिव के वंशज मानते है

भगवान शिव आदिवासियों की संस्कृति से ही अन्य लोगो की संस्कृति तक पहुंचे [2]

संदर्भ संपादित करें

  1. साँचा:Https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&url=http://samvad.in/Encyc/2019/11/15/2313470.aspx&ved=2ahUKEwi94uPFvPnqAhXZdn0KHbwJBd4QFjACegQIAxAB&usg=AOvVaw2r8z2MKRUoAwWLtguQ865g
  2. Madhya Pradesh Sampurna Adhyayan (With Latest Facts and Data). Upkar Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7482-738-8.