अरावेलो
अरावेलो या अरावीलो या मोरूम्बे[1](सोमाली: कैरावीलो) पारंपरिक लोककथा में एक आद्य-सोमाली रानी थी।[2]
जीवनी
संपादित करेंकैरावीलो यो अरावेलो ने आधुनिकयुगीन सोमालिया के पूर्वोत्तर के अधिकांश भाग पर शासन किया। उसकी राजधानी बुरान, सनाग थी और उसे शहर के बाहरी इलाके में कहीं दफनाया गया जहाँ वारसांगेली कबीले का वास है।
अरावेलो की माँ को हरमाँयो कहा जाता था; लेकिन उनके पिता कौन थे इसके बारे में कहानियों में कोई उल्लेख नहीं है। वे तीन बेटियों में से पहली और राजवंश की वास्तविक उत्तराधिकारी थीं। अरावेलो ने कई महिला शासकों की तरह महिला सशक्तिकरण के लिए लड़ाई लड़ी; उनका मानना था कि समाज मातृसत्ता पर आधारित होना चाहिए। बयान के अतिरिक्त उनके अस्तित्व का और कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
लैंगिक भूमिका
संपादित करेंअरावेलो १५ ई. के आसपास सत्ता में आईं। अपने शासनकाल के दौरान अरावेलो के पति ने पूरे समाज के पालनकर्त्ता के रूप में उनकी स्व-निर्धारित भूमिका पर आपत्ति जताई, क्योंकि उनका मानना था कि महिलाओं को केवल घर के घरेलू कार्यों तक ही सीमित रहना चाहिए और बाकी सब कुछ पुरुषों पर छोड़ देना चाहिए। इसके प्रत्युत्तर में अरावेलो ने माँग की कि समाज में देशभर की सभी महिलाएँ अपनी स्त्री-भूमिका का परित्याग करें।
अरावेलो ने सोचा कि यह भूमिका उलटना आवश्यक है क्योंकि उसने महिलाओं को प्राकृतिक शांतिरक्षक के रूप में देखा था। उनका मानना था कि महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया तथा पुरुष प्रायः युद्ध और राजनीति को भड़काने वाले, प्रतिभागी और संवाहक रहे। उन्होंने न केवल सामंती समाज में महिलाओं की मुक्ति के लिए बल्कि महिलाओं के प्रभुत्व के लिए लड़ाई लड़ी क्योंकि उन्होंने उन्हें बेहतर और अधिक कुशल नेताओं के रूप में देखा।
लोकप्रिय संस्कृति में
संपादित करेंसोमाली संस्कृति में कैरावेलो के संदर्भ में आज एक लड़की या महिला का उपनाम-जो बहुत ही मुखर और प्रभावशाली "कैरावीलो" है-सम्मिलित है। उन्होंने प्राचीन सोमाली लोगों की हरला रानी होने का दावा किया।
२०१४ ई. में फराह एम. मोहम्मद ने अरावेलो केंद्रित एक पुस्तक प्रकाशित की थी।
अस्वीकृत राजकुमारियों में अरावेलो का विशेष स्थान है।[3]