अरुण माहेश्वरी (जन्म : 4 जून 1951) एक हिन्दी साहित्यकार, मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों पर टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं।[1]

अरुण माहेश्वरी
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा लेखक, पत्रकार, आलोचक, एवं प्रकाशक
प्रसिद्धि का कारण पुस्तकें:
पश्चिम बंगाल में मौन क्रांति
आरएसएस और उसकी विचारधारा

विज्ञान में स्नातक के बाद दो वर्षों तक कोलकाता विश्वविद्यालय की सीढि़यों पर कानून की पढ़ाई के लिये टहलकदमी। छात्र जीवन से ही मार्क्सवादी राजनीति और साहित्य-आंदोलन से जुड़ाव और सीपीआई(एम) के मुखपत्र ‘स्वाधीनता’ से संबद्ध। साहित्यिक पत्रिका ‘कलम’ का संपादन।

माहेश्वरी हिन्दी भाषा के एक प्रमुख प्रकाशन संस्थान वाणी प्रकाशन के मालिक हैं जिसकी स्थापना उनके पिता प्रेम चंद महेश ने की थी।[2][3]

अब तक प्रकाशित पुस्तकें:

  1. साहित्य में यथार्थ : सिद्धांत और व्यवहार
  2. आरएसएस और उसकी विचारधारा
  3. नई आर्थिक नीति : कितनी नई
  4. कला और साहित्य के सौंदर्यशास्त्रीय मानदंड
  5. जगन्नाथ (अनुदित नाटक)
  6. पश्चिम बंगाल में मौन क्रांति
  7. पाब्लो नेरुदा : एक कैदी की खुली दुनिया
  8. एक और ब्रह्मांड,
  9. सिरहाने ग्राम्शी,
  10. हरीश भादानी,
  11. धर्म, संस्कृति और राजनीति,
  12. समाजवाद की समस्याएं।
  1. "अरुण महेशवरी". calcuttayellowpages.com (अंग्रेज़ी में). मूल से 23 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 अगस्त 2015.
  2. "Our commitment:Vani Prakashan" (अंग्रेज़ी में). मूल से 17 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 अगस्त 2015.
  3. साधना, रश्मि (7 जनवरी 2012). English Heart, Hindi Heartland: The Political Life of Literature in India (अंग्रेज़ी में). University of California Press. पृ॰ 79. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 अगस्त 2015.

बाहरी कड़ियाँ

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