अरुण शर्मा (पुरातत्वविद)

पुरातत्वविद

डॉ अरुण शर्मा (जन्म : १९३३ निधन : २०२४) भारत के पुरातत्त्वविद् थे। २०१७ में पद्मश्री[2] से सम्मानित डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के अन्य स्थानों पर भी खुदाई कराई है।[3] छत्तीसगढ़ के सिरपुर और राजिम के अलावा राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अहम भूमिका निभाई थी।

अरुण शर्मा
जन्म जून 1933
मौत 28 फरवरी 2024 (90 वर्ष)
नागरिकता भारत Edit this on Wikidata
पेशा पुरातत्त्ववेत्ता Edit this on Wikidata
पुरस्कार पद्म श्री[1] Edit this on Wikidata

डॉ. शर्मा ने करियर का आरम्भ भिलाई इस्पात संयंत्र से की थी। उन्हें इस काम में कुछ नयापन नहीं लगा, इसलिए नौकरी छोड़ दी। इसके पश्चात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) नागपुर में तकनीकी सहायक पद पर भर्ती हुए। डॉ. शर्मा ने बताया कि उन्हें ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी प्राय: ग्रामीण देते थे। छत्तीसगढ़ में बालोद स्थित करकाभाट में महापाषाण काल के टीलों की जानकारी गांववालों ने ही दी थी।[4]

अरुण शर्मा ने ‘राम जन्म भूमि-बाबरी मजिस्द’ प्रकरण में इलाहबाद उच्च न्यायालय में बतौर मुख्य गवाह साक्ष्य, तर्क और तथ्यों के आधार पर बताया कि स्थल पर पूर्व में हिन्दू मंदिर होने के पर्याप्त प्रमाण हैं। डॉ. अरुण शर्मा के बयान के आधार पर विवादित स्थल पर कोर्ट ने राम जन्मभूमि का होना माना।

  1. https://www.bhaskar.com/news/CHH-RAI-HMU-archaeologist-padma-shri-arun-sharma-news-hindi-5513803-NOR.html. गायब अथवा खाली |title= (मदद)
  2. "पुरातत्ववेत्ता अरुण शर्मा को पद्मश्री". मूल से 28 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मार्च 2017.
  3. "पुरातत्वविद शर्मा ने 45 सालों में देश के 20 राज्यों में कराई खुदाई". मूल से 29 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2017.
  4. "उग्रवादियों ने कनपटी पर तानी बंदूक, जब इतिहास पर बात की तो ऐसे मिली मदद". मूल से 2 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2017.

बाहरी कड़ियाँ

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