अर्धरज्जुकी प्राणी संघ के कृमि के समान तथा समुद्री जीव हैं जिनका संगठन अंगतन्त्र स्तर का होता है। ये सब द्विपार्श्विक सममित, त्रिकोरकी तथा प्रगुही प्राणी हैं। इनका शरीर बेलनाकार है तथा शुण्ड, तथा कॉलर लम्बे वक्ष में विभाजित होता है। परिसंचरण तन्त्र बन्द प्रकार का होता है। श्वसन क्लोम द्वारा होता है तथा शुण्ड ग्रन्थि इसके उत्सर्जी अंग है। नर एवं मादा भिन्न होते हैं। निषेचन बाह्य होता है। परिवर्धन डिम्भ के द्वारा अप्रत्यक्ष होता है।

अर्धरज्जुकी
बलूतफल कृमि- एक अर्धरज्जुकी
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: प्राणी
संघ: अर्धरज्जुकी

अर्धरज्जुकियों को पहले रज्जुकी संघ में एक उपसंघ के रूप में रखा गया था; किन्तु अब इन्हें भिन्न संघ के रूप में रखा गया हैं। अर्धरज्जुकी के कॉलर क्षेत्र में अल्पविकसित संरचना होती है जिसे मुखरज्जु कहते हैं जो पृष्ठरज्जु के समान संरचना है।