अर्पण (1983 फ़िल्म)
अर्पण 1983 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसे जे ओम प्रकाश द्वारा निर्मित और निर्देशित किया गया। इसमें जितेन्द्र, रीना रॉय, परवीन बॉबी प्रमुख भूमिकाओं में हैं और संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी।[1]
अर्पण | |
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![]() अर्पण का पोस्टर | |
निर्देशक | जे ओम प्रकाश |
निर्माता | जे ओम प्रकाश |
अभिनेता |
जितेन्द्र, रीना रॉय, परवीन बॉबी, राजबब्बर |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथि |
1983 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कहानी
संपादित करेंअनिल (जितेन्द्र) और शोभा (रीना रॉय) प्यार में हैं और शादी करने वाले हैं। अनिल थोड़ी देर के लिए विदेश जाता है। वह एक साल बाद लौटता है और पाता है कि शोभा ने एक अमीर आदमी जेके (राजबब्बर) से विवाह किया है। वह इस बात से अनजान है कि शोभा ने अपनी बहन विनी के जीवन को बचाने के लिए ऐसा किया है। शादी से पहले विनी मां बनने वाली थी। विनी के जीवन को बचाने के लिए उसके पास एक ही रास्ता था कि वह जेके से शादी कर ले। केवल तभी वह विनी के प्यार, राकेश को छोड़ देगा। वह वास्तव में शोभा से शादी करना चाहता था क्योंकि वह उसे हर किसी के सामने शर्मिंदा करना चाहता था, जैसे उसने उसके कार्यालय के लोगों के सामने उसे शर्मिंदा किया था। इसलिए, शोभा, अनिल की मां को आश्वस्त करती हैं कि विनी को वह राकेश से शादी करने की अनुमति दे। लेकिन अनिल सोचता है कि उसने दौलत की वजह से जेके से विवाह किया है। अनिल उसे भूलने के लिए कहीं और घूमने निकल पड़ता है।
वहां, वह सोना (परवीन बॉबी) नाम की एक लड़की के साथ प्यार में पड़ जाता है। इस बीच, जेके हर समय शोभा के साथ बद्तमीजी करता रहता है। जब जेके को बाद में यह पता चलता है कि ज्यादा शराब पीने के कारण वह मर सकता है, तो वह मरने से पहले शोभा के साथ अच्छा व्यवहार करता है और जल्द ही वे प्यार में पड़ जाते हैं। जेके की मौत के बाद अनिल की सोना से शादी हो जाती है। अनिल सोचता है कि यह शोभा की सज़ा है जेके मर गया। लेकिन फिर अनिल सच जान जाता है और उससे मिलता है। अनिल को पता चलता है कि शोभा जेके के बच्चे के साथ गर्भवती है। एक दिन अनिल अस्पताल में उससे मिलता है लेकिन सोना उन्हें देख लेती है और वह उनके रिश्ते को गलत समझती है। कार दुर्घटना में पूरी तरह घायल होने के बाद उसे जल्द ही अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। डॉक्टर कहता है कि वह ठीक है, लेकिन उसका अब बच्चा नहीं हो सकता। उस रात अनिल शोभा के बारे में अपनी मां और सोना को सच बताता है। अचानक शोभा आती है और वह सोना को अपना बच्चा दे देती है। वह कहती है कि यह उसकी सारी गलती थी कि सोना के बच्चा नहीं हो सकता। अनिल के घर आने से पहले शोभा जहर की एक बोतल पी लेती है। वह जल्द ही मर जाती है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- जितेन्द्र — अनिल वर्मा
- रीना रॉय — शोभा
- परवीन बॉबी — सोना
- राजबब्बर — जे के
- सुजीत कुमार — अशोक
- दीना पाठक — श्रीमती वर्मा
- सुलोचना लाटकर — शोभा की माँ
- प्रीति सप्रू — विनी
- सुधीर दलवी — सोना के पिता
- शशि पुरी — राकेश
- टॉम ऑल्टर — टॉम
संगीत
संपादित करेंसभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "परदेस जा के परदेसिया" | लता मंगेशकर | 6:23 |
2. | "मोहब्बत अब तिजारत बन गई है" | अनवर हुसैन | 4:56 |
3. | "परदेस जा के परदेसिया" (II) | लता मंगेशकर | 1:06 |
4. | "तौबा कैसे हैं नादान घूँघरू" | लता मंगेशकर | 6:51 |
5. | "तेरी मेरी शादी होगी" | लता मंगेशकर, किशोर कुमार | 4:47 |
6. | "लिखने वाले ने लिख डाले" | लता मंगेशकर, सुरेश वाडकर | 7:46 |
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "B'day Special: बॉलिवुड की पहली सुपर हिट 'नागिन' थीं रीना रॉय". नवभारत टाइम्स. 7 जनवरी 2019. Archived from the original on 17 अप्रैल 2019. Retrieved 14 अप्रैल 2019.