अलोपेसिया अरीटा (अंग्रेज़ी: Alopecia areata), जिसको स्पॉट बाल्डनेस (सर के कुछ हिस्सों में बालों का नहीं होना) एक ऑटोइम्यून रोग हैंI जिसमें सर के कुछ या संपूर्ण हिस्से से बाल झड़ जाते हैं। इसमें बाल ज्यादातर सिर की त्वचा से ही झड़ते हैं क्यूंकि इसमें शरीर, स्वयं को ही पहचानना छोड़ देता हैं एवं अपने ही ऊतकों को नष्ट कर डालता हैं, जैसे की वो कोई आक्रमणकारी हो[1][2]। प्रथम चरण में यह सर पर बाल रहित क्षेत्रों (गंजे धब्बों) का निशान बना देता हैंI 1-2 % मामलों में यह सारे शरीर में एवं पूरे एपिडर्मिस में फ़ैल जाता हैं। अलोपेसिया अरीटा जैसी हालात एवं होने के कारण अन्य प्रजातियों में भी पाई जाती हैं।[3]

अलोपेसिया अरीटा

वर्गीकरणसंपादित करें

आमतौर पर, अलोपेसिया अरीटा के मामलों में सिर की त्वचा पर एक या एक से अधिक गोल धब्बे में बालों के झड़ने शामिल है।[2][4]

अलोपेसिया अरीटा मोनोलोकुलरिस, में सर के बाल एक जगह पर झड़ जाते हैं। यह सिर में कही पर भी हो सकता हैं।

अलोपेसिया अरीटा ऑफ़िसीस, सिर की परिधि में एक लहर के आकार में, बालों के झड़ने को संदर्भित करता है।

यह कुछ मामलों में दाढ़ी तक सीमित रहता हैं इस दशा में अलोपेसिया अरीटा बारबै[2] के नाम से जाना जाता हैं।

यदि मरीज सिर के सभी बालों को खो देता है, रोग तो अलोपेसिया अरीटा टोटलिस कहा जाता है।

यदि शरीर के सभी बाल (जननांग के भी) मरीज खो देता हैं तो उस दशा में रोग की पहचान अलोपेसिया यूनिवर्सलिस के तौर पर की जाती हैं। अलोपेसिया अरीटा टोटलिस एवं यूनिवर्सलिस दुर्लभ किस्म के प्रकार हैं

रोग के चिह्न एवं लक्षणसंपादित करें

इसका पहला प्रमुख लक्षण छोटे (बाल रहित क्षेत्रों) का होना हैं। यह दाग़ कई आकार में हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर गोल या अंडाकार आकर के होते हैं। अलोपेसिया अरीटा, सबसे अधिक बार सिर की त्वचा और दाढ़ी को प्रभावित करता है लेकिन ये शरीर के उस हिस्से पर भी हो सकते हैं जहाँ पर अमूमन बाल उगते हैं। रोग कुछ समय बाद छूट भी जा सकता हैं या फिर स्थायी हो सकते हैं। यह बच्चों में आम है।[5]

बालों के झड़ने वाले क्षेत्र में झुनझुनाहट या दर्द हो सकता हैं एवं सारे बाल थोड़े ही समय के अंतराल में झड़ जाते हैं। सामान्यता जब स्वस्थ बालों को खींचा जाता हैं तो बहुत कम ही बाल उखड़ते हैं लेकिन जब अलोपेसिया अरीटा से पीड़ित व्यक्ति के बालों को खींचा जाता हैं बहुत सारे बाल जड़ से निकल आते हैं।

रोग की पहचानसंपादित करें

अलोपेसिया अरीटा को सामान्यता नैदानिक विशेषताएँ के आधार पर निदान किया जाता हैं। ट्रिचोस्कोपी इस दिशा में सहायक सिद्ध होता हैं। ट्रिचोस्कोपी में पीले धब्बे, छोटे ऐक्सक्लामेशन चिन्हित बाल (!) एवं काले धब्बों का पता चलता हैं।

अलोपेसिया अरीटा के मामलों में बाईओप्सी की शायद ही जरूरत पड़ती हैं।

कारणसंपादित करें

अलोपेसिया अरीटा एक छुआछूत की बीमारी नहीं हैं[2]। ये उन लोगों में ज्यादा पाया जाता हैं जिनके परिवार के सदस्यों को ये पहले हुआ हैं। इस रोग के होने के कारण में आनुवंशिकता एक प्रमुख कारक हैं इसके अतिरिक्त उन लोगों को ज्यादा खतरा होता हैं जिनके रिश्तेदार ऑटोइम्यून रोग से पीड़ित हैं।

उपचारसंपादित करें

यदि प्रभावित क्षेत्र कम हैं तो उपचार की सम्भावना बनती हैं एवं बाल फिर उग सकते हैं। लेकिन जहाँ बाल ज्यादा झड़ चुके हैं तो वहाँ पे देखा गया हैं कि अगर कर्टिको स्टेरॉयड्स क्लोबीटासोल और फ्लूओसिनोनाइड , कर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन्स या क्रीम से आ का उपचार किया जाये तो भी सीमित लाभ ही प्राप्त होता हैं। ओरल कर्टिको स्टेरॉयड्स से बालों का भी झड़ना रुकता हैं, लेकिन ये दवा के प्रयोग की अवधी तक सीमित रहता हैं एवं इस दवा के हानि कारक प्रभाव भी होते हैं।

सन्दर्भसंपादित करें

  1. ओडोम, रिचर्ड बी.; डेविडशन, इजराइल; जेम्स, विलियम डी.; हेनरी, जॉन बर्नार्ड; बर्गेर, टिमोथी जी.; क्लिनिकल डायग्नोसिस बाय लेबोरेटरी मेथड्स; डीर्क एम. एलस्टोन (२००६). एंड्रूस' डीसीसेस ऑफ द स्किन: क्लिनिकल डर्मेटोलॉजी. सॉन्डर्स एल्सेविएर. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ ० -७२१६ -२९२१ -० |isbn= के मान की जाँच करें: invalid character (मदद).सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)[page needed]
  2. जोई डायना द्रेलोस (अगस्त ३०, २००७), Alopecia Areata Archived 2007-12-08 at the Wayback Machine. मेडिसिनेनेट .कॉम. Retrieved on दिसंबर २, २००७
  3. मैकएलवी, केविन जे.; बोग्गेस्स, डौनलीन; ऑलिव्र्य, थिेररय; ओलिवर, रॉय एफ.; व्हाईटिंग, डेविड; तोबिन, डेस्मंड जे.; ब्यस्ट्रीन, जीन-क्लॉउड़े; किंग, जेआर., लॉयड इ.; सुंडबर्ग, जॉन पी. (१९९८). "कम्प्यारीज़न ऑफ अलोपेसिया अरीटा इन् ह्यूमन ऎण्ड नॉनह्यूमन मम्मलिअन स्पीशीस". Pathobiology. ६६ (२): ९०–१०७. नामालूम प्राचल |डीओआई= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |पीएमआईडी= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  4. मार्क्स, जेम्स जी; मिलर, जेफ्री (२००६). लुकिंगबिलल ऎण्ड मार्क्स' प्रिंसिपल्स ऑफ डर्मेटोलॉजी (४थ इडी.). एल्सेविएर आयएनसी. आयएसबीएन १ -४१६० -३१८५ -५.[page needed]
  5. "अलोपेसिया अरीटा". डॉबतुल.कॉम. मूल से 30 जून 2015 को पुरालेखित.