अवधारणा
अवधारणा या संकल्पना या संप्रत्यय (concept) भाषा दर्शन का शब्द है जो संज्ञात्मक विज्ञान, तत्त्वमीमांसा एवं मस्तिष्क के दर्शन से सम्बन्धित है। इसे 'अर्थ' की संज्ञात्मक ईकाई, एक अमूर्त विचार, या मानसिक प्रतीक के तौर पर समझा जाता है।
अवधारणा के अंतर्गत की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत बिंब, जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना चेतना में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्त्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्त्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है।[1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ दर्शनकोश, प्रगति प्रकाशन, मॉस्को, १९८0, पृष्ठ-४८, ISBN: ५-0१000९0७-२
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- E. Margolis and S. Lawrence (2006), साँचा:Sep entry
- Blending and Conceptual Integration
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